मप्र में भाजपा विधायक की दोनों पत्नियों के नाम तीर्थ दर्शन योजना में, कांग्रेस ने उठाए सवाल

vikasparakh
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राजगढ़. मध्यप्रदेश में कांग्रेस के एक नेता ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हजारीलाल दांगी की दो पत्नियों के नाम मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल होने का दावा किया है जिसके बाद विवाद पैदा हो गया है. मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और राजगढ़ कांग्रेस जिला अध्यक्ष प्रियव्रत सिंह ने कहा कि गरीबों के लिए बनी इस योजना में खिलचीपुर से भाजपा विधायक और उनके परिजनों के नाम जुड़ना योजना की पारर्दिशता पर सवाल खड़े करती है.

उल्लेखनीय है कि राजगढ़ जिले से 179 यात्रियों का दल मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत असम के कामाख्या देवी दर्शन के लिए जा रहा है, जिसमें दांगी की दोनों पत्नियों – ज्योत्सना दांगी एवं सरदार बाई दांगी – के नाम भी शामिल हैं. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में दांगी से पराजित होने वाले सिंह ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के यात्रियों की सूची जारी करते हुए कहा, “इसमें गरीब जनता की जगह भाजपा के नेताओं और उनकी पत्नियों के नाम जोड़े गए हैं.”

तीन बार खिलचीपुर से विधायक रहे खींची ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “प्रशासन की निगाह में शायद यह लोग सबसे ग.रीब हैं. मज.े की बात यह है कि यह पहले भी यात्रा कर चुके हैं!” इस सिलसिले में जब दांगी से बात की गई तो उन्होंने बताया, “मैंने अपनी पत्नियों को यात्रा में भेजने के लिए कोई आवेदन नहीं किया है और ना ही मुझे इस मामले की कोई जानकारी है. मैं अपनी पत्नियों को इस यात्रा में नहीं भेज रहा हूं.” यात्रा के प्रभारी राजगढ़ जिले के अपर कलेक्टर वीरेंद्र दांगी ने कहा कि तीर्थ दर्शन योजना के लिए बहुत सारे आवेदन एक साथ आए थे और एक तय प्रक्रिया के तहत यात्रियों का चयन हुआ है.

उन्होंने कहा कि आय के संबंध में उनका स्वयं का घोषणा पत्र भी उनके द्वारा दिया गया है. मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों (जो आयकर दाता नहीं हैं) को प्रदेश के बाहर निर्दष्टि तीर्थ स्थानों में से एक या दो स्थानों की नि?शुल्क यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. मध्यप्रदेश का धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग इस योजना को संचालित करता है. इसकी आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक वरिष्ठ नागरिकों की परिभाषा 60 वर्ष या अधिक आयु के पुरुष है जबकि महिलाओं के मामले में 2 वर्ष की छूट है. मध्यप्रदेश शासन ने जून 2012 में इस योजना की शुरुआत की थी.

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