नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में कथित नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारियों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला को दी गई अग्रिम जमानत रद्द कर दी है. न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार सप्ताह की अवधि के लिए पूर्व आईएएस अधिकारियों को हिरासत में लेने की अनुमति दी.
इसके बाद दोनों अधिकारियों को, यदि किसी अन्य मामले में आवश्यक न हो, तो निचली अदालत द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन रिहा करने का आदेश दिया गया. पीठ ने कहा, ”हमें प्रतिवादी (आलोक शुक्ला) को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने में कोई हिचक नहीं है और हम शुक्ला को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार सप्ताह की अवधि के लिए अपीलकर्ता (ईडी) को हिरासत में देने के लिए इच्छुक हैं, बशर्ते वह अपीलकर्ता (ईडी) के साथ सहयोग करें, ताकि जांच पूरी हो सके और शिकायत दर्ज की जा सके. आलोक शुक्ला को आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है.” शीर्ष अदालत ने 16 सितंबर को टुटेजा के संबंध में कहा कि उन्हें दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने में कोई हिचक नहीं है.
इसमें कहा गया है, ”हम इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से चार सप्ताह की अवधि के लिए प्रतिवादी (अनिल टुटेजा) को इस शर्त के अधीन अपीलकर्ता (ईडी) की हिरासत में भेजने के लिए इच्छुक हैं कि वह अपीलकर्ता (ईडी) के साथ सहयोग करेंगे ताकि जांच पूरी करने और शिकायत दर्ज करने में सुविधा हो. प्रतिवादी (अनिल टुटेजा) को आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है.” धनशोधन निरोधक एजेंसी ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ के कुछ संवैधानिक पदाधिकारी करोड़ों रुपये के कथित ‘एनएएन’ घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में कुछ आरोपियों को न्यायिक राहत सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के संपर्क में हैं.
धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर स्थानांतरित करने के अनुरोध के अलावा, ईडी ने धनशोधन मामले में कुछ दिग्गज आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत रद्द करने का भी अनुरोध किया है. ईडी ने नागरिक आपूर्ति घोटाले में छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दायर प्राथमिकी और आरोप पत्र के आधार पर 2019 में धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में कथित घोटाला तब सामने आया जब राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने फरवरी 2015 में पीडीएस प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने वाली नोडल एजेंसी ‘नागरिक आपूर्ति निगम’ (एनएएन) के कुछ कार्यालयों पर छापा मारा और कुल 3.64 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की. टुटेजा एनएएन के पूर्व अध्यक्ष हैं, जबकि शुक्ला इसके पूर्व प्रबंध निदेशक हैं.


