राष्ट्रीय शिक्षा नीति परंपरा और आधुनिकता का सर्वश्रेष्ठ समन्वय है: राष्ट्रपति मुर्मू

vikasparakh
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तिरुवरुर. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को यहां कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति परंपरा और आधुनिकता का सर्वश्रेष्ठ समन्वय है और जो लोग इसे अपना सकते हैं और नए कौशल सीख सकते हैं, वे बदलाव के अगुआ बनेंगे. तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुर्मू ने कहा कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक स्तर के उच्च मानकों को बनाए रखने और बौद्धिक जिज्ञासा एवं आलोचनात्मक चिंतन को बढ.ावा देने वाला प्रेरक वातावरण बनाने के लिए विशेष प्रशंसा का पात्र है.

उन्होंने कहा, ”भारत में, हमारी महान और प्राचीन परंपराएं हैं जो ज्ञान के लिए ज्ञान की तलाश करती हैं.” उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में, छात्रों के पास सीखने के इतने सारे संसाधन उपलब्ध होने से वे एक बेहतरीन स्थिति में हैं. उन्होंने कहा, ”आपके लिए अपनी समृद्ध विरासत को फिर से खोजना किसी भी पिछली पीढ.ी की तुलना में कहीं अधिक आसान है. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में है; यह परंपरा और आधुनिकता के सर्वोत्तम पहलुओं को एक साथ लाती है.” छात्रों से निरंतर सीखते रहने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में इंटरनेट क्रांति ने दुनिया को इस तरह बदल दिया है कि कई नए पेशे सामने आए हैं, जिनकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी.

उन्होंने कहा, ”कृत्रिम बुद्धिमत्ता और औद्योगिक क्रांति 4.0, कार्य संस्कृति को और बदल देंगे. ऐसे गतिशील वातावरण में, जो लोग नए कौशल सीख सकते हैं, वे बदलाव में अग्रणी भूमिका के वाहक बनेंगे.” मुर्मू ने कहा कि वह एक स्कूल शिक्षिका थीं. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जीवनभर विद्यार्थी रहे और उन्होंने तमिल और बांग्ला जैसी भाषाओं को जाना, गीता जैसे धर्मग्रंथ का अध्ययन किया और साथ ही चप्पल बनाने और चरखा चलाने जैसे कौशल सीखे.

उन्होंने कहा, ”उनके मामले में यह सूची लगभग अंतहीन है. गांधीजी अपने अंतिम समय तक असाधारण रूप से सजग और सक्रिय रहे. उन्होंने छात्रों को जिज्ञासु बने रहने की सलाह दी. इससे निरंतर सीखते रहने को बढ.ावा मिलेगा और निरंतर सीखने से उनके कौशल की हमेशा मांग बनी रहेगी.” तमिलनाडु स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय सामुदायिक कॉलेज और डॉ. आंबेडकर उत्कृष्टता केन्द्र जैसी पहलों के माध्यम से हाशिए पर पड़े वर्गों के समग्र विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है.

उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तिगत विकास को सामाजिक विकास से जोड़ना होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा का उद्देश्य समाज का हित होना चाहिए. बाद में, मुर्मू ने तिरुचिरापल्ली स्थित प्रसिद्ध श्री रंगम भगवान रंगनाथस्वामी मंदिर में दर्शन किए और वहां पूजा-अर्चना की. उनकी यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. मंदिर में दर्शन के बाद, मुर्मू का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिसमें वह अपनी कार से उतरकर सड़क किनारे इंतजार कर रहे लोगों की ओर जाती हैं और उन्हें हाथ हिलाकर अभिवादन करती हैं. राष्ट्रपति एक से तीन सितंबर तक कर्नाटक और तमिलनाडु के दौरे पर रहीं.

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