बैंकॉक. थाईलैंड के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के मामलों में पिछली दोषसिद्धि में एक साल की जेल की सज़ा काटनी होगी. उच्चतम न्यायालय इस पर सुनवाई कर रहा था कि क्या अधिकारियों ने 2023 में थाकसिन की थाईलैंड वापसी कराने की व्यवस्था ठीक से नहीं की थी, ताकि मुकदमों में उनकी सजा शुरू होती.
एक न्यायाधीश ने कहा कि थाकसिन की सजा का क्रियान्वयन ठीक से नहीं किया गया था, और इसलिए पुलिस अस्पताल में उसकी हिरासत को जेल की सजा के रूप में नहीं गिना जाएगा. एक दशक से अधिक समय तक स्व-निर्वासन में रहने के बाद थाईलैंड लौटने पर थाकसिन को एक दिन से भी कम समय जेल में बिताने के बाद कथित तौर पर चिकित्सा कारणों से बैंकॉक के पुलिस जनरल अस्पताल के एक कमरे में भेज दिया गया.
भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़े तीन मामलों में उनकी आठ साल की सजा को राजा महा वजीरालोंगकोर्न ने एक साल में बदल दिया था और छह महीने अस्पताल में रहने के बाद उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया था. इन घटनाक्रम ने सवाल उठाए कि क्या उनके साथ विशेष बर्ताव किया गया, वहीं कई लोगों ने उनके बीमार होने पर भी संदेह जताया था.
मंगलवार को अदालत के बयान में कहा गया कि साक्ष्यों से पता चलता है कि उस रात थाकसिन का जेल के अस्पताल में ही उपचार किया जा सकता था लेकिन जेल के चिकित्सकों द्वारा जांच किए बिना ही उन्हे सीधे पुलिस अस्पताल भेज दिया गया, जो प्रक्रियाओं का उल्लंघन था.
अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस अस्पताल द्वारा उनके ठहराव की अवधि बढ़ाने के अनुरोध में दावा किया गया था कि थाकसिन को गर्दन की तत्काल सर्जरी की ज़रूरत है, लेकिन रिकॉर्ड से पता चला कि उन्हें दाहिने कंधे में टेंडोनाइटिस और उंगली के जोड़ के जाम होने की समस्या की सर्जरी हुई, जो गंभीर बीमारियां नहीं थीं और वह कारण भी नहीं थे जिनके चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया था.
अदालत की सुनवाई के बाद थाकसिन को बैंकॉक रिमांड जेल भेज दिया गया. फैसले के बाद उनकी टीम द्वारा साझा किए गए उनके फेसबुक पेज पर एक संदेश में कहा गया कि उन्होंने अदालत के निर्णय को स्वीकार कर लिया है.


