अमेरिका के टैरिफ से घबराई भाजपा सरकार अब चीन की शरण में पहुंच गई :अखिलेश

vikasparakh
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लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि अमेरिका के टैरिफ से घबरायी भाजपा सरकार अब चीन की शरण में पहुंच गयी है जिसका ट्रैक रिकार्ड भारत से दुश्मनी का ही रहा है. उन्होंने आरोप लगाया,”भाजपा-आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) ने भारत की विदेश नीति को बर्बाद कर दिया है. दुनिया के तमाम मित्र देशों ने साथ छोड़ दिया है.”

पार्टी द्वारा जारी एक बयान में यादव ने कहा,”अभी आपरेशन सिंदूर के दौरान पड़ोसी देश भी साथ नहीं खड़े हुए. तब हमलावर पाकिस्तान को चीन हर प्रकार की मदद कर रहा था. जिस अमेरिका से बड़ी दोस्ती थी उसने व्यापार पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के साथ ही और कड़े आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी दी है. घबड़ायी भाजपा सरकार अब चीन की शरण में पहुंच गयी है जिसका ट्रैक रिकार्ड भारत से दुश्मनी का ही रहा है.”

यादव ने कहा,” हिन्दी चीनी भाई-भाई के नारे का हश्र हम 1962 में देख चुके है. इस लड़ाई में हमारे चार हजार सैनिक अधिकारी कैद कर लिए गए थे जिन्हें तमाम यातनाएं दी गई थीं. इससे पूर्व 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था.” सपा नेता ने कहा,” चीन की निगाहें हमेशा भारत भूमि पर रही है. उसने रिजंगला में भारत के वार मेमोरियल को तोड़ दिया. उसने ‘फाइव फिंगर’ छीन लिए, पैंगोन झील पर कब्जा कर लिया. भारत की हजारों वर्ग मील जमीन उसके कब्जे में है. चीन भारत के अरूणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से को भी अपना बताता है.”

उन्होंने कहा ,” गलवान घाटी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी उसने अपनी सैन्य गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई है, ऐसे में भाजपा सरकार का यह कहना कि ‘नहीं कोई घुसा था, नहीं कोई घुसा है’ का क्या अर्थ है? फिर दोनों देशों में वार्ताएं किस लिए हो रही है?” यादव ने कहा कि चीन अमरीकी आर्थिक दबावों के आगे अपने को लाचार पा रहा है, भारत के व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सामने बंदी की तलवार लटक रही है, निर्यात ठप्प है एवं आयात बहुत महंगा हो गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत अमेरिका से व्यापार में फायदा उठा रहा था जबकि चीन से व्यापार में भारत को घाटा हो रहा है. उन्होंने कहा कि चीन के सामान से भारत के बाजार पहले से पटे पड़े हैं, अब नये समझौते से तो उसका भारतीय बाजार में पूरा दखल हो जाएगा.
सपा नेता ने कहा कि चीनी सामानों का आयात बढ़ता जा रहा है, भारतीय उद्योगों की चीन पर निर्भरता है, ऐसे में स्वदेशी का संकल्प कितना मायने रखेगा? यादव ने कहा ,” चीन विस्तारवादी देश है, उसकी महत्वाकांक्षा अपनी सीमाओं के लगातार विस्तार की है. कई पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता के नाम पर कर्ज में डुबोने का काम चीन पहले ही कर चुका है. चीन ने अब तक अपने कब्जे वाले भारतीय भू-भाग पर बातचीत का साफ रूख नहीं किया है. तिब्बत हड़प लेने के बाद अब वह अरूणाचल, लेह, लद्दाख में भी पैर पसारना चाहता है. उसकी इन चालों की वजह से उस पर तनिक भी भरोसा नहीं किया जा सकता है कि वह नेक नीयती से भारत का साथ देगा.”

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