प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में वोकल फॉर लोकल, स्वदेशी उत्सव और युवाओं के प्रेरक उदाहरणों पर दिया जोर

vikasparakh
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 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से वोकल फॉर लोकल के मंत्र को स्मरण रखते हुए आगामी त्यौहारों के मौसम को स्वदेशी उत्पादों के साथ मनाने की अपील की है। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम की 126वीं कड़ी में उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में कई त्यौहार हैं और जीएसटी बचत उत्सव भी चल रहा है। श्री मोदी ने कहा कि स्वदेशी उत्पादों को खरीदने से परिवार में तो खुशी आयेगी ही, कारीगरों के परिश्रम का भी सम्मान होगा और युवा उद्यमियों के सपनों को पंख भी लगेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि त्यौहार के मौसम के दौरान केवल घर ही नहीं, बल्कि सड़कों, पड़ोस, बाजार और गांव की भी स्वच्छता पर भी ध्‍यान दिया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवरात्र के दौरान शक्ति की उपासना की जाती है। उन्होंने कहा कि अब कारोबार से लेकर खेल जगत तक और शिक्षा से लेकर विज्ञान तक – हर क्षेत्र में बेटियां अपनी पहचान बना रही हैं। श्री मोदी ने नौसेना की दो बहादुर अधिकारियों की उपलब्धि की चर्चा की जो नाविका सागर परिक्रमा के दौरान आठ महीने तक समुद्र में रहीं। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा ने इस परिक्रमा को एक यादगार अवसर बताया है। इन दोनों अधिकारियों ने तीन वर्ष तक नौवहन से लेकर आपात स्थिति में संवाद स्थापित करने वाले उपकरणों को चलाने की तैयारी की। दोनों अधिकारियों ने उस क्षण को सबसे यादगार बताया जब उन्होंने दुनिया के सबसे दूरस्थ क्षेत्र प्वाइंट नेमो पर भारतीय ध्वज फहराया। लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा इस स्थान पर नौका से पहुंचने वाली दुनिया की पहली नागरिक हैं। दोनों अधिकारियों ने इस क्रम में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पोर्ट स्टेनले और दक्षिण अफ्रीका का दौरा भी किया। श्री मोदी ने कहा कि इन अधिकारियों के असाधारण साहस ने उन्हें रोमांचित किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन अधिकारियों के कठिन परिश्रम, सफलता और उपलब्धियों से पूरे देश के युवा और खासकर लड़कियों को बहुत प्रेरणा मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब छठ पूजा एक वैश्विक उत्सव में बदल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर-सूची में शामिल करने के प्रयास कर रही है। श्री मोदी ने कहा कि इस सूची में शामिल होने से दुनियाभर के लोग छठ पूजा की भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के ऐसे ही प्रयासों के कारण कोलकाता की दुर्गापूजा यूनेस्को सूची में शामिल हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और गायिका लता मंगेशकर की जयंती होने के कारण मन की बात की यह कड़ी विशेष महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह हर भारतीय और खासकर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह ने अंग्रेजों को पत्र लिखकर अपने साथियों और स्वयं के साथ युद्धबंदी जैसा व्यवहार करने और फांसी पर चढ़ाने की बजाए सीधे गोली मार कर जान लेने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि यह भगत सिंह की निर्भीकता का प्रतीक था।
लता मंगेशकर के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके गीतों में वह सबकुछ है, जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता है। उनके गाए देशभक्ति गीतों ने लोगों को बहुत प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर, वीर सावरकर से प्रेरित थीं और उन्हें तात्या कहती थीं। लता मंगेशकर ने वीर सावरकर के कई गीतों को अपने स्वर में पिरोया था। श्री मोदी ने मराठी सुगम संगीत की महान हस्‍ती सुधीर फड़के को याद किया, जिन्होंने सबसे पहले उनका परिचय लता मंगेशकर से कराया था। श्री मोदी ने लता मंगेशकर के गाए और सुधीर फड़के के संगीतबद्ध गीत ज्योति कलश छलके की झलक भी प्रस्तुत की।
आगामी 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा स्वदेशी को अपनाने पर बल दिया, जिसमें खादी सबसे प्रमुख थी। उन्होंने कहा कि पिछले ग्यारह वर्षों के दौरान देश में खादी के प्रति आकर्षण बहुत बढ़ा है और इसकी बिक्री में भी तेज़ी आई है। श्री मोदी ने देशवासियों से दो अक्तूबर को कोई न कोई खादी उत्पाद खरीदने और उसे वोकल फॉर लोकल हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर साझा करने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि हथकरघा और हस्थशिल्प क्षेत्र में काफी बदलाव हो रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि परम्परा और नवोन्मेष के मेल से अद्भुत परिणाम मिल सकते हैं। श्री मोदी ने तमिलनाडु के याज़ नेचुरल्स का उदाहरण दिया। अशोक जगदीशन और प्रेम सेल्वाराज ने अपनी नौकरी छोड़कर घास, केले के तने से योगा के लिए चटाई बनाए, हर्बल रंगों से कपड़े रंगे और दो सौ परिवारों को प्रशिक्षण देकर रोज़गार दिया।
प्रधानमंत्री ने झारखंड के आशीष सत्यव्रत साहू की चर्चा की जिनके जोहारग्राम ब्रांड से आदिवासी बुनाई और परिधानों को एक वैश्विक पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि श्री साहू के प्रयासों से दूसरे देशों के लोग भी झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जानने लगे हैं।
प्रधानमंत्री ने बिहार के मधुबनी जिले की स्वीटी कुमारी की चर्चा की जिन्होंने संकल्प क्रिएशंस नामक स्टार्टअप से मिथिला पेंटिंग को महिलाओं की आजीविका का साधन बना दिया है। आज पांच सौ से अधिक ग्रामीण महिलाएं उनसे जुड़ी हैं आत्मनिर्भरता की राह पर हैं। श्री मोदी ने कहा कि सफलता की ये गाथाएं बताती हैं कि हमारी परम्परा में आय के अनंत साधन छिपे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में देशभर में विजयादशमी मनाई जायेगी। उन्होंने कहा कि इस बार की विजयादशमी एक वजह से बहुत विशेष है क्योंकि इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि 100 वर्ष की यह यात्रा असाधारण और अभूतपूर्व रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 साल पहले जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी, तब देश सदियों से गुलामी की जंजीरों में बंधा था और देशवासी हीन भावना का शिकार होने लगे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में ड़ॉक्टर के.बी. हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के पावन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। श्री मोदी ने कहा कि संघ, विगत वर्षों में बिना थके, बिना रूके, राष्ट्र सेवा के कार्य में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में संघ के स्वयंसेवक ही सबसे पहले पहुंचते हैं। उन्होंने राष्ट्र सेवा के महायज्ञ में स्वयं को समर्पित कर रहे प्रत्येक स्वयंसेवक को शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने 7 अक्तूबर को मनाई जाने वाली महर्षि वाल्मीकि जयंती के संबंध में कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने ही भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित कराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम ने सेवा, समरसता और करुणा की भावना से सबको गले लगाया था। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के रामायण के राम, माता शबरी और निषादराज के साथ ही पूर्ण होते हैं। इसलिए, अयोध्या में जब राम मंदिर बनाया गया, तो साथ में निषादराज और महर्षि वाल्मीकि का मंदिर भी बनाया गया। उन्होंने लोगों से अयोध्या में रामलला के दर्शन के समय महर्षि वाल्मीकि और निषादराज के मंदिरों के दर्शन की अपील भी की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति किसी एक दायरे में बंधी नहीं होती। उन्होंने कहा कि फ्रांस की राजधानी पेरिस के सांस्कृतिक संस्थान सौंत्ख मण्डप ने अपने 50 वर्ष पूरे किए हैं। इस केंद्र ने भारतीय नृत्य को लोकप्रिय बनाने में व्यापक योगदान दिया है। इस केंद्र की स्थापना मिलेना सालविनी ने की थी, जिन्हें कुछ वर्ष पूर्व पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। श्री मोदी ने सौंत्ख मण्डप से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने भूपेन हजारिका के लोकप्रिय गीत मनुहे मनुहार बाबे का सिंहला और तमिल भाषा में ऑडियो बजाया। श्री मोदी ने कहा कि हाल ही में उन्होंने असम में भूपेन हजारिका के जन्मशती समारोह में भागीदारी की थी।
प्रधानमंत्री ने पूरे देश में अपनी पहचान बनाने वाले असम के लोकप्रिय गायक ज़ुबिन गर्ग के असामयिक निधन पर भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ज़ुबिन का असम की संस्कृति से गहरा लगाव था और उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने महान विचारक और चिंतक एस.एल. भैरप्पा को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका हाल ही में निधन हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भैरप्पा की रचनाएँ युवा पीढ़ी के विचारों को दिशा देती रहेंगी।
श्री मोदी ने देशवासियों को आगामी त्‍योहारों और ख़ासकर दीपावली की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने फिर कहा कि स्वदेशी उत्‍पाद को बढ़ावा देकर ही देश आत्मनिर्भर बन सकता है।

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