बादल फटने के कारणों का अध्ययन करने की आवश्यकता: गृह मंत्री शाह

vikasparakh
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जम्मू. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को ‘डेटा एनालिटिक्स’ और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके बादल फटने के कारणों का अध्ययन करने तथा हिमनद झीलों के फटने के चलते आने वाली बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली की समीक्षा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने हाल की आपदाओं में हुई जनहानि पर दुख व्यक्त किया.

केंद्र शासित प्रदेश में 14 अगस्त से लगातार आई आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद राजभवन में एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने लोगों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी है और उन्हें तुरंत राहत और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही. ताजा स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में, शाह ने सभी एजेंसियों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने बचाव अभियान तेजी से चलाया.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है और लोगों को शुद्ध पेयजल भी मिलने लगा है.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तथा केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल हुए.
शाह ने हाल की घटनाओं में हुई जनहानि पर दुख व्यक्त किया और कहा, ”संकट की इस घड़ी में, पहले दिन से ही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात की है. केंद्र सरकार ने बचाव कार्यों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.” उन्होंने कहा, ”केंद्र शासित प्रदेश और सभी एजेंसियों ने मिलकर संभावित नुकसान को काफी कम किया है और समन्वित प्रयासों से हमने कई लोगों की जान सफलतापूर्वक बचाई है.” उन्होंने सभी प्रारंभिक चेतावनी ऐप (ईडब्ल्यूए), उनकी सटीकता और जमीनी स्तर तक उनकी पहुंच के गहन विश्लेषण की आवश्यकता को रेखांकित किया. शाह ने कहा कि गहन विश्लेषण के माध्यम से प्रणालियों में सुधार ही हताहतों की संख्या शून्य करने की दिशा में आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है.

केंद्रीय गृह मंत्री ने ‘ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (जीएलओएफ) पूर्व चेतावनी प्रणाली की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बादल फटने की प्रवृत्तियों और बादलों में नमी की मात्रा के बीच संबंधों का संयुक्त रूप से अध्ययन करना चाहिए, कारणों का पता लगाना चाहिए और एक पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय को ‘डेटा एनालिटिक्स’ और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाकर इस दिशा में कदम उठाने चाहिए.
शाह ने यह भी कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अतिरिक्त राशन की व्यवस्था करनी चाहिए और 10 दिनों में कनेक्टिविटी का आकलन करने के बाद राशन वितरण पर निर्णय लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय की सर्वेक्षण टीमें नुकसान का आकलन करेंगी और सहायता प्रदान की जाएगी.

गृह मंत्री ने कहा, ”केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के संबंधित विभागों और केंद्रीय गृह सचिव की एक बैठक एक-दो दिन में होगी.” उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय और केंद्र शासित प्रदेश सरकार की टीमों को नुकसान के आकलन को प्राथमिकता देनी चाहिए.
शाह ने कहा कि स्वास्थ्य और जल विभाग को जलापूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जबकि सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और वायुसेना की चिकित्सा इकाइयों को भी सहायता प्रदान करनी चाहिए.

उन्होंने रेखांकित किया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के लिए 209 करोड़ रुपये केंद्र के हिस्से के रूप में जम्मू कश्मीर के लिए आवंटित किए गए हैं. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अधिकतर सड़कों पर यातायात शुरू हो गया है और जरूरत पड़ने पर राहत सामग्री भी पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि एहतियात के तौर पर 5,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. एनडीआरएफ की 17 टीमें, सेना की 23 टुकड़ियां, वायुसेना के हेलीकॉप्टर, जम्मू कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवान अभियान में लगे हुए हैं.

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