हिंदी दिवस: नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने हिंदी को देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा कहा

vikasparakh
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नयी दिल्ली/गांधीनगर. समूचे भारत में रविवार को हिंदी दिवस मनाया गया तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं अन्य शीर्ष नेताओं ने भाषाई विविधता वाले इस देश को एकता के सूत्र में बांधने में हिंदी की भूमिका को रेखांकित करते हुए सभी भारतीय भाषाओं को समृद्ध बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.

मोदी ने कहा कि विश्व पटल पर हिंदी के प्रति बढ़ता सम्मान सभी भारतीयों के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी केवल बोलचाल की भाषा नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका एवं पुलिस की भी भाषा बननी चाहिए. संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर, 1949 को हिन्दी को राजभाषा के रूप में अपनाये जाने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है.

विदेशों में भारतीय दूतावासों ने इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिताओं, कविता पाठ और संगोष्ठियों का आयोजन किया. भारत में कई विदेशी राजनयिकों ने खुद के लिए हिंदी भाषा के ‘टंग ट्विस्टर्स (कठिन वाक्य/वाक्यांश)’ सीखने की चुनौती पेश की, जबकि फ्रांसीसी दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया जिसमें उसके दूतों ने बताया कि वे यह भाषा क्यों सीख रहे हैं.

हिंदी की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति का एक प्रमाण यह है कि रूस में विद्यार्थियों में हिंदी सीखने की बढ़ती रुचि देखी जा रही है. रूस के विज्ञान एवं उच्च शिक्षा उपमंत्री कॉन्स्टेंटिन मोगिलेव्स्की ने कहा, ”हम चाहते हैं कि हमारे ज़्यादा से ज़्यादा विद्यार्थी हिंदी सीखें.” मोगिलेव्स्की ने रूसी समाचार एजेंसी टीएएसएस से कहा,”भारत आज दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और अधिक से अधिक भारतीय अपने दैनिक जीवन में अंग्रेजी के बजाय हिंदी का प्रयोग करने लगे हैं. हमें हिंदी और अन्य पूर्वी भाषाएं सीखने की जरूरत है.”

मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ह्लआप सभी को हिंदी दिवस की अनंत शुभकामनाएं. हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और संस्कारों की जीवंत धरोहर है. इस अवसर पर आइए, हम सब मिलकर हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं को समृद्ध बनाने और उन्हें आने वाली पीढि.यों तक गर्व के साथ पहुंचाने का संकल्प लें.” उन्होंने कहा, ह्लविश्व पटल पर हिंदी का बढ़ता सम्मान हम सबके लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है.” गृहमंत्री ने कहा, ”हिंदी दिवस के इस अवसर पर, आइए हम हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करें और एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और विकसित भारत की ओर आगे बढ़ें.” उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई संघर्ष नहीं है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इसे केवल बोलचाल की भाषा नहीं बनना चाहिए, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा भी बनना चाहिए.

शाह ने कहा कि संस्कृत ने हमें “ज्ञान की गंगा” दी है और हिंदी ने इस ज्ञान को घर-घर तक पहुंचाया है तथा यह ज्ञान हमारी स्थानीय भाषाओं के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा है. उन्होंने हिंदी दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा, ”हमारा राष्ट्र मूलत? भाषा-प्रधान है. हमारी भाषाएं संस्कृति, इतिहास, परंपराओं, ज्ञान- विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम रही हैं.” उन्होंने कहा कि गुलामी के कठिन दौर में भी, भारतीय भाषाएं प्रतिरोध की आवाज बनीं. उन्होंने कहा, ”स्वतंत्रता आंदोलन को राष्ट्रव्यापी बनाने में हमारी भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने-अपने क्षेत्रों और गांवों की भाषाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा.”

शाह ने कहा, ”पिछले दशक में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारतीय भाषाओं और संस्कृति के पुनर्जागरण का एक ्स्विवणम युग आया है. चाहे संयुक्त राष्ट्र का मंच हो, जी-20 शिखर सम्मेलन हो या शंघाई सहयोग संगठन को संबोधित करना हो, मोदी जी ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संवाद करके भारतीय भाषाओं का गौरव बढ़ाया है.” उन्होंने कहा, ”हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं न केवल संचार का माध्यम बनें, बल्कि तकनीक, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की आधारशिला भी बनें.” गृहमंत्री ने कहा, ”मिथिला के कवि विद्यापति जी ने ठीक ही कहा है: ‘देसिल बयाना सब जन मीठा’, अर्थात अपनी भाषा सबसे मीठी होती है.” पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, शाह ने भारतीयों से अपनी भाषाओं को संरक्षित करने और उन्हें “अमर” बनाने का आ”ान किया और अभिभावकों से बच्चों से उनकी मातृभाषा में बात करने का आग्रह किया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार सभी भाषाओं का सम्मान करती है. उन्होंने राज्य में हिंदी भाषी लोगों के कल्याण के लिए अपनी सरकार द्वारा की गई कई पहलों का उल्लेख किया, जिनमें उन क्षेत्रों में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देना भी शामिल है जहां 10 प्रतिशत आबादी हिंदी भाषा बोलती है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘एक्स’ पर लिखा ह्ल प्रदेश वासियों को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई. हिंदी हमारी एकता का आधार और अस्मिता की प्रहरी है. समस्त भारतीयों को एक सूत्र में पिरोती हमारी परंपराओं की संवाहिका हिंदी हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है.” असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने लोगों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस भाषा ने देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है, जो देश की ताकत का प्रमाण है. अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने लोगों से रोजमर्रा की जिंदगी में हिंदी को अधिक सक्रियता से अपनाने का आग्रह किया, जिससे राष्ट्र की एकता और अखंडता मजबूत होगी.

हिंदी विज्ञान, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा होनी चाहिए: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई टकराव नहीं है और यह केवल बोलचाल की भाषा न रहकर, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा भी बननी चाहिए. पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि भारतीयों को अपनी भाषाओं को संरक्षित करना चाहिए और उन्हें अमर बनाना चाहिए. उन्होंने अभिभावकों से बच्चों से उनकी मातृभाषा में बात करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई संघर्ष नहीं है. दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, केएम मुंशी, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे विद्वानों ने हिंदी को अपनाया और इसका प्रचार-प्रसार किया. गुजरात, जहां गुजराती और हिंदी सह-अस्तित्व में हैं, दोनों भाषाओं के विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हिंदी केवल एक बोली या प्रशासन की भाषा नहीं है. हिंदी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय और पुलिस की भी भाषा बनना चाहिए. जब ये सभी कार्य भारतीय भाषाओं में होंगे, तब जनता से जुड़ाव स्वत? ही स्थापित हो जाएगा.” शाह ने कहा कि संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी और हिंदी ने इस ज्ञान को हर घर तक पहुंचाया और यह ज्ञान स्थानीय भाषाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचा है. उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों से सदैव उनकी मातृभाषा में बात करनी चाहिए.

शाह ने कहा, “यह बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि कई मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाशा्त्रिरयों ने यह माना है कि बच्चा अपनी मातृभाषा में सोचता है. जैसे ही आप बच्चे पर कोई दूसरी भाषा थोपते हैं उसका 25 से 30 प्रतिशत मानसिक बल अनुवाद में खर्च हो जाता है.” उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय भाषाओं को तकनीक के माध्यम से सशक्त बनाने का काम किया है और गृह मंत्रालय ने भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की है, जो हिंदी और अन्य भाषाओं को बढ़ावा देगा.

उन्होंने कहा, “इसके लिए हम विज्ञान और तकनीक का भरपूर उपयोग कर रहे हैं.” शाह ने कहा कि गुजरात में शिक्षा में हिंदी को स्थान मिला है और यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती जैसे नेताओं ने लोगों से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे से हिंदी में संवाद करें और सभी राज्यों में हिंदी को बढ़ावा दें.

उन्होंने कहा, “इसके परिणामस्वरूप, गुजरात का कोई भी बच्चा देश में कहीं भी जाकर व्यापार कर सकता है और स्वीकार किया जाता है.” गृह मंत्री ने बताया कि बहुभाषीय अनुवाद सारथी नामक ‘सॉफ्टवेयर’ का उपयोग किया जा रहा है, जो उन्नत तकनीक पर आधारित अनुवाद प्रणाली है.

शाह ने कहा, “इस ‘सॉफ्टवेयर’ को प्रशिक्षित करके हम इसे लगातार बेहतर बनाएंगे और आने वाले दिनों में देश के नागरिक अपनी-अपनी भाषाओं में संवाद कर सकेंगे.” उन्होंने कहा कि अगर संवाद की भाषा अपनी नहीं है तो स्वतंत्रता और आत्मसम्मान की आकांक्षा अधूरी रह जाती है. शाह ने बताया कि ‘हिंदी शब्द सिंधु’ शब्दकोश 51,000 शब्दों से शुरू हुआ था, जो अब सात लाख शब्दों को पार कर चुका है और 2029 तक यह दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा.

गृह मंत्री ने कहा, “मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि 2029 तक ‘हिंदी शब्द सिंधु’ दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा. इस शब्दकोश के माध्यम से हमने हिंदी को लचीला बनाया है. कई हिंदी विद्वान चाहते हैं कि हिंदी में संस्कृत शब्दों की प्रधानता हो, इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जहां खाली स्थान है वहां अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों से भराव करना होगा. तभी हिंदी सभी भारतीयों के लिए आत्मीय भाषा बनेगी और हिंदी तभी एक व्यवहारिक बोली बन पाएगी जब उसमें लचीलापन होगा.” उन्होंने कहा, “हमें समय के साथ कई बदलाव करने होंगे. जो समय के साथ नहीं बदलते वे इतिहास बन जाते हैं. मैं मानता हूं कि हमारी भाषा इतिहास भी है, वर्तमान भी है और भविष्य भी. इसी वजह से ‘शब्द सिंधु’ के प्रयोग का उद्देश्य हिंदी को उपयोगी, लचीली और जन-सामान्य की भाषा बनाना है.”

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