नयी दिल्ली. भाजपा ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम,2025 पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का सोमवार को स्वागत किया और कहा कि यह उन लोगों पर ”करारा तमाचा” है जो इस कानून की संवैधानिकता पर सवाल उठा रहे थे और ”भय पैदा करने की राजनीति” कर रहे थे.
न्यायालय ने अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी, जिनमें यह भी शामिल है कि केवल वे लोग ही किसी संपत्ति को वक्फ के रूप में दे सकते हैं जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं. हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर स्थगन से इनकार कर दिया.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”निश्चित रूप से यह एक स्वागत योग्य फैसला है. प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार द्वारा किये गए संशोधनों को स्वीकार कर लिया और इसके खिलाफ याचिका खारिज कर दी है. संशोधनों के संपूर्ण क्रियान्वयन पर कोई रोक नहीं है.” उन्होंने कहा, ”यह रोक केवल एक या दो क्षेत्रों तक ही सीमित है जहां अदालत को लगा कि किसी जिलाधिकारी द्वारा शक्तियों का मनमाना प्रयोग हो सकता है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं था कि इसकी प्रक्रिया क्या होगी.” कोहली ने कहा कि यह उन लोगों को भी स्पष्ट संदेश देता है जो ”भय पैदा करने की राजनीति” कर रहे थे.
एक्स पर एक पोस्ट में, भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि कानून में ‘वक्फ बाय यूजर” द्वारा वक्फ की ”कठोर अवधारणा” को ”इतिहास के कूड़ेदान” में डाल दिया गया है. अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा के एक अन्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि यह उन लोगों पर ”करारा तमाचा” है जो कल तक यह गलत सूचना फैला रहे थे कि वक्फ कानून में किए गए संशोधन असंवैधानिक हैं. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर न्यायालय के फैसले से उन लोगों को निराशा हुई है जिन्होंने इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी थी.


