बिहार: मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए 2.17 लाख आवेदन मिले, नाम जोड़ने के लिए 36,000

vikasparakh
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नयी दिल्ली. बिहार की मतदाता सूची में लोगों के नाम जोड़ने और हटाने को लेकर एक महीने की अवधि सोमवार को समाप्त हो गई, जिसमें 36,000 से अधिक मतदाताओं ने दस्तावेज में अपना नाम जोड़ने के लिए आवेदन दाखिल किया. जानकारी के मुताबिक 2.17 लाख से अधिक व्यक्तियों ने अपने नाम हटाने की मांग की है, उनका दावा है कि उन्हें गलत तरीके से मसौदा मतदाता सूची में शामिल किया गया है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मतदाता सूची से नाम हटाने की मांग करते हुए 16 आपत्तियां दर्ज कराई हैं. यह एकमात्र मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी है जिसने नाम हटाने की मांग की है. भाकपा-माले (लिबरेशन) ने 103 नामों को हटाने की मांग की है. यह बिहार की एक मान्यता प्राप्त राज्यस्तरीय पार्टी है. इसके अलावा, भाकपा-माले (लिबरेशन) व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मिलकर मतदाता सूची में 25 नाम जोड़ने की मांग की है. राजद भी एक मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय पार्टी है.

मसौदा मतदाता सूची एक अगस्त को प्रकाशित की गई थी और एक सितंबर तक व्यक्तियों और राजनीतिक दलों के पास “दावों और आपत्तियों” के लिए विकल्प खुला था. चुनाव कानून के तहत लोगों और पार्टियों को यह अधिकार है कि वे मसौदा सूची में उन व्यक्तियों के नाम शामिल किए जाने को चुनौती दे सकें जिन्हें वे अयोग्य मानते हैं. इसी तरह, जो लोग सोचते हैं कि वे पात्र हैं, लेकिन मसौदा सूची से बाहर रह गए हैं, वे भी अपना नाम शामिल करवाने का अनुरोध कर सकते हैं. बिहार की अंतिम मतदाता सूची, जहां संभवत? नवंबर में चुनाव होने वाले हैं, 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी.

संबंधित घटनाक्रम में, निर्वाचन आयोग (ईसी) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कवायद के दौरान तैयार की गयी मसौदा मतदाता सूची में दावे, आपत्तियां और सुधार के लिये आवेदन एक सितंबर के बाद भी दायर किए जा सकते हैं, लेकिन मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही उन पर विचार किया जाएगा. आयोग ने कहा कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने पात्रता दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं.

दावे, आपत्तियां एक सितंबर के बाद भी दाखिल की जा सकती हैं: ईसी ने बिहार एसआईआर मामले पर कहा

भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान तैयार मतदाता सूची के मसौदे में दावे, आपत्तियां और सुधार एक सितंबर के बाद भी दाखिल किए जा सकेंगे लेकिन उन पर विचार मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही किया जाएगा.

बिहार एसआईआर के लिए निर्वाचन आयोग की 24 जून की अनुसूची के अनुसार, मसौदा सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा आज समाप्त हो रही है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निर्वाचन आयोग (ईसी) की इस दलील पर गौर किया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि तक दावे और आपत्तियां दाखिल की जा सकती हैं.

पीठ ने कहा, ”समय बढ़ाने के संबंध में, ईसीआई द्वारा प्रस्तुत नोट में कहा गया है कि एक सितंबर के बाद दावे/आपत्तियां या सुधार दाखिल करने पर रोक नहीं है. यह कहा गया है कि दावे/आपत्तियां/सुधार समय सीमा के बाद भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं, अर्थात एक सितंबर के बाद और मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इस पर विचार किया जाएगा.” शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया है, ”यह प्रक्रिया नामांकन की अंतिम तिथि तक जारी रहेगी और नाम शामिल करने/ नाम हटाना अंतिम मतदाता सूची में समाहित किया जाएगा. इस रुख को देखते हुए दावे / आपत्तियां / संशोधन दायर किए जाते रह सकते हैं.” इसके बाद पीठ ने राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग के नोट के जवाब में अपने जवाब दाखिल करने की छूट दे दी.

शीर्ष अदालत ने बिहार एसआईआर को लेकर भ्रम की स्थिति को ”काफी हद तक विश्वास का मुद्दा” करार देते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल करने में व्यक्तिगत मतदाताओं और राजनीतिक दलों की सहायता के लिए अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों को तैनात करे. पीठ ने कहा कि अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों संबंधित जिला न्यायाधीशों के समक्ष एक गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और राज्य के एकत्रित आंकड़े पर आठ सितंबर को विचार किया जाएगा.

बिहार में 99.5 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने दस्तावेज जमा कराए: निर्वाचन आयोग

निर्वाचन आयोग ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि चुनावी राज्य बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत 7.24 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 99.5 प्रतिशत ने पात्रता दस्तावेज जमा कराए हैं. आयोग ने दावा किया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल ने मतदाताओं को निर्धारित प्रारूप में दावे और आपत्तियां दाखिल करने में सहायता उपलब्ध नहीं कराई.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ को चुनाव निकाय ने सूचित किया कि मतदाताओं ने अधिक ”सतर्कता और सक्रियता” दिखाई है, क्योंकि उन्होंने मसौदा सूची में नाम शामिल करने के लिए 33,326 फॉर्म और नाम हटाने के लिए 2,07,565 फॉर्म जमा किए हैं. आयोग ने बताया कि इसके अलावा पहली बार मतदाता बनने के लिए 15 लाख से अधिक आवेदन आए हैं.
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने एक नोट में कहा, ”रिकॉर्ड के अनुसार, बिहार राज्य की मसौदा मतदाता सूची में शामिल लगभग 99.5 प्रतिशत मतदाताओं (7.24 करोड़ में से) ने एसआईआर प्रक्रिया से संबंधित अपने पात्रता दस्तावेज पहले ही जमा कर दिए हैं.” उन्होंने कहा कि दस्तावेज सत्यापन कार्य 24 जून के एसआईआर आदेश में दिए गए कार्यक्रम के अनुरूप 25 सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा.

निर्वाचन आयोग ने कहा, ”विशेष रूप से, यह प्रस्तुत किया जाता है कि भाकपा-माले और राजद के अलावा, अन्य किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ने अपने पदाधिकारियों या वैध रूप से नियुक्त बीएलए के माध्यम से, लगभग 65 लाख मतदाताओं में से किसी भी मतदाता को, जिनके नाम मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं, घोषणा के साथ फॉर्म 6 जमा करने में सहायता नहीं की है. अन्य किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ने निर्धारित प्रारूप में दावे या आपत्तियां दाखिल करने की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है.” निर्वाचन आयोग ने 31 अगस्त के अपने बुलेटिन का हवाला देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों और व्यक्तियों से प्राप्त अधिकतर फॉर्म मसौदा मतदाता सूची में शामिल नामों को बाहर करने के लिए थे.

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