हैदराबाद. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इन दावों को खारिज कर दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाक संघर्ष को रोकने के लिए उन्होंने हस्तक्षेप किया था. सिंह ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की वजह से निलंबित नहीं की गई. रक्षा मंत्री ने यहां ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ समारोह में अपने संबोधन में कहा कि यदि भविष्य में कोई आतंकी हमला हुआ, तो ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू होगा.
उन्होंने कहा, ”कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम किसी के हस्तक्षेप की वजह से हुआ? मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आतंकवादियों के खिलाफ अभियान किसी के हस्तक्षेप की वजह से नहीं रुका था.” राजनाथ ने कहा, ”कुछ लोग भारत-पाक संघर्ष को रोकने का दावा करते हैं. किसी ने ऐसा नहीं किया. मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने भी साफ किया था कि भारत ने इस मामले में तीसरे पक्ष की भूमिका खारिज कर दी.”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि यह द्विपक्षीय मामला है और कोई तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता. सिंह ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के एक कमांडर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में भारतीय मिसाइल हमलों में इस आतंकवादी संगठन के प्रमुख मसूद अजहर के परिवार के सदस्यों की मौत की बात स्वीकार की है. उन्होंने कहा कि इसकी पुष्टि करने वाला एक वीडियो भी जारी किया गया है. भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी देश की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकता.
सिंह ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, देश ने 2016 में र्सिजकल स्ट्राइक, 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक और इस साल ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों के माध्यम से बार-बार अपने संकल्प का प्रदर्शन किया है. उनके अनुसार, ये अभियान साबित करते हैं कि भारत उन लोगों को जवाब देना जानता है जो शांति को नहीं समझते. उन्होंने कहा कि आज का भारत न केवल बातचीत में शामिल है, बल्कि अपने दुश्मनों का सीधा सामना करने में भी सक्षम है.
सिंह ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा बार-बार युद्धविराम की अपील के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को स्थगित कर दिया गया था. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह ऑपरेशन केवल ‘रोका’ गया है, खत्म नहीं हुआ है. मंत्री ने कहा, ”आज का भारत किसी का आदेश नहीं सुनता. भारत अपनी पटकथा खुद लिखता है. आज भारत एक ऐसी विश्व व्यवस्था की पटकथा लिखने को तैयार है, जिसका अनुसरण पूरी दुनिया खुशी-खुशी और स्वेच्छा से करेगी.” रजाकारों (निजाम शासन के सशस्त्र समर्थकों) द्वारा किए गए अत्याचारों की तुलना उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले से की, जहां लोगों की धार्मिक पहचान पूछने पर उन्हें मार दिया गया था.
सिंह ने बीदर जिले के गोर्टा गांव में हुए नरसंहार को याद किया और कहा, ”यह गांव रजाकारों की क्रूरता का शिकार हो गया. 200 से ज्यादा हिंदुओं को कतार में खड़ा करके बेरहमी से मार डाला गया.” उन्होंने कहा कि 1948 में देश के पहले केंद्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने रजाकारों की साजिश को नाकाम कर दिया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी और एजेंट आज असफल हो गए हैं. सिंह ने कहा कि रजाकारों का उनका संदर्भ किसी विशिष्ट समुदाय के बारे में नहीं है.
उन्होंने हैदराबाद के भारत में विलय का समर्थन करने वाले पत्रकार शोएबउल्लाह खान की हत्या को भारत समर्थक आवाजों के प्रति रजाकारों की दुश्मनी का उदाहरण बताया. सिंह ने कहा, ”इसलिए, जब हम रजाकारों की बात करते हैं, तो हमारा आशय एक ऐसी सोच से होता है जो भारत की आत्मा के विरुद्ध है, जो ‘सर्व धर्म समभाव’ की सोच को स्वीकार नहीं करती.” उन्होंने कहा कि 17 सितंबर वह दिन है जब सरदार पटेल ने हैदराबाद की तत्कालीन रियासत का भारत में विलय कराया था.
सिंह ने दावा किया कि ‘तुष्टीकरण की नीतियों’ के कारण, पिछली सरकारों ने हैदराबाद मुक्ति दिवस नहीं मनाया. इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. इससे पहले, सिंह ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और केंद्रीय बलों की परेड का निरीक्षण किया.


