बीसीसीआई ने टीम इंडिया के टाइटल प्रायोजन के लिये बोलिया आमंत्रित की

vikasparakh
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नयी दिल्ली. फैंटेसी स्पोर्ट्स की दिग्गज कंपनी ड्रीम 11 के हाथ खींचने के बाद बीसीसीआई ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट टीम के टाइटल प्रायोजन अधिकारों के लिए बोलियां आमंत्रित की जिसमें वास्तविक धन गेमिंग और क्रिप्टोकरेंसी में काम करने वाली कंपनियों पर रोक लगाई गई है क्योंकि सरकार ने ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है . भारतीय टीम नौ सितंबर से यूएई में शुरू होने वाले एशिया कप में बिना मुख्य प्रायोजक के खेलेगी क्योंकि बोर्ड ने बोली जमा करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर तय की है.

ड्रीम 11 ने हाल ही में ‘ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम 2025 के प्रचार और विनियमन’ के कारण अपने वास्तविक धन वाले गेम बंद कर दिए हैं . अधिनियम में कहा गया है कि ”कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं की पेशकश, सहायता, उकसाना, प्रेरित, लिप्त या संलग्न नहीं होगा और न ही किसी ऐसे विज्ञापन में शामिल होगा जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी व्यक्ति को कोई भी ऑनलाइन मनी गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करता हो .” ड्रीम 11 और माय 11 सर्कल के साथ बीसीसीआई का भारतीय क्रिकेट टीम और इंडियन प्रीमियर लीग के लिये 1000 करोड़ रूपये के करीब टाइटल प्रायोजन करार था .

बीसीसीआई की एक विज्ञप्ति में कहा गया ,” बोली लगाने वाला ,जिसमें उसके समूह की कोई भी कंपनी शामिल है उसे भारत में या दुनिया में कहीं भी ऑनलाइन मनी गेमिंग, सट्टेबाजी या जुआ या इसी तरह की सेवाओं में संलग्न नहीं होना चाहिए, भारत में किसी भी व्यक्ति को कोई ऑनलाइन मनी गेमिंग, सट्टेबाजी या जुआ या इसी तरह की सेवाएं प्रदान नहीं करनी चाहिए और भारत में सट्टेबाजी या जुए में संलग्न किसी भी व्यक्ति में कोई निवेश या स्वामित्व हित नहीं होना चाहिए .” आईईओआई खरीदने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है और बोली के दस्तावेज जमा करने की आखिरी तारीख 16 सितंबर है .

इसमें आगे कहा गया ,” बोली लगाने वाला या उसके समूह की कोई भी कंपनी किसी भी तरह की ऐसी गतिविधि या व्यवसाय में शामिल नहीं होनी चाहिये जिसकी आनलाइन गेमिंग अधिनियम 2025 के तहत अनुमति नहीं है .” इसके अलावा तंबाकू, शराब और ऐसी कोई भी चीज जो सार्वजनिक नैतिकता को ठेस पहुंचाती हो, इसके पात्र नहीं हैं . बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ ब्रांड श्रेणियों को भी ‘ब्लॉक’ किया जाएगा क्योंकि बीसीसीआई के पास उक्त श्रेणियों में मौजूदा प्रायोजक हैं.

इनमें एथलेजर और खेल परिधान निर्माता, बैंक, बैंकिंग और वित्तीय सेवा और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, अल्कोहल रहित ठंडे पेय, पंखे, मिक्सर ग्राइंडर, सुरक्षा ताले और बीमा शामिल हैं . बीसीसीआई से फिलहाल इन श्रेणियों के ब्रांड एडिडास , कैंपा कोला, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एसबीआई लाइफ जुड़े हुए हैं . बोर्ड ने कहा कि एक से अधिक ब्रांड/उत्पाद श्रेणियों में काम करने वाले या उनसे जुड़े बोली लगाने वालों का एक ब्रांड निषिद्ध या ब्लॉक की श्रेणी में आता है तो ऐसी श्रेणियों के संबंध में बोली प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी .

बोली लगाने वाले को ‘सरोगेट’ ब्रांड के माध्यम से बोलियाँ लगाने से प्रतिबंधित किया गया है. सरोगेट ब्रांडिंग के मायने किसी अन्य संस्था या व्यक्ति के माध्यम से किसी अन्य संस्था या व्यक्ति की ओर से अप्रत्यक्ष रूप से बोली प्रस्तुत करने के किसी भी प्रयास से है. इसमें विभिन्न नामों, ब्रांडों, पहचान या लोगो का उपयोग शामिल है लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है.

बोली लगाने की वित्तीय पात्रता के अनुसार, बोली लगाने वाले का पिछले तीन वर्षों का औसत कारोबार कम से कम 300 करोड़ रुपये होना चाहिए या प्रत्येक बोली लगाने वाले की पिछले तीन वर्षों की औसत निवल संपत्ति कम से कम 300 करोड़ रुपये होनी चाहिए.
बोर्ड ने कहा कि वह बिना कोई कारण बताए किसी भी स्तर पर आईईओआई प्रक्रिया को रद्द या संशोधित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है.

ड्रीम11 ने 2023 से 2026 की अवधि के लिए 44 मिलियन डॉलर (लगभग 358 करोड़ रुपये) में अधिकार हसिल किया था. उन्हें हालांकि अनुबंध में लगभग एक वर्ष शेष रहते इससे अलग होना पड़ा लेकिन इसके लिए उन्हें दंडित किए जाने की संभावना नहीं है. बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई को बताया, ”बीसीसीआई हमारे एक प्रायोजन भागीदार की परेशानी को पूरी तरह समझता है. यह उनकी गलती नहीं है और भुगतान में चूक के अन्य मुद्दों के विपरीत, ड्रीम11 पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा. यह एक सरकारी नियम है और इसका पूर्ण अनुपालन आवश्यक है . वर्तमान परिदृश्य में उनका व्यवसाय प्रभावित होगा.”

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