हैदराबाद/नोएडा. तेलंगाना के हैदराबाद में साइबर जालसाजों ने कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर तीन दिनों तक 76 वर्षीय एक सेवानिवृत्त सरकारी चिकित्सक को परेशान किया और धमकियां दी, जिससे उनकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि पांच से आठ सितंबर के बीच महिला से 6.60 लाख रुपये ठगने वाले आरोपियों ने आठ सितंबर को उनकी मौत के बाद भी उन्हें संदेश भेजना जारी रखा.
पुलिस के मुताबिक, मृतका के कॉल रिकॉर्ड देखने के बाद उनके बेटे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि परिवार को ‘डिजिटल अरेस्ट’ और इस साइबर ठगी के संभावित मामले का पता चला, जिसकी वजह से उनकी मां की असामयिक मृत्यु हुई.
पुलिस ने बताया कि मुख्य वरिष्ठ रेजिडेंट चिकित्सा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त महिला से जालसाजों ने पांच सितंबर को एक ‘मैसेजिंग ऐप’ के जरिए संपर्क किया. ऐप पर जिस आईडी से संपर्क किया गया था उसकी ‘डिस्प्ले पिक्चर’ में बेंगलुरु पुलिस का लोगो लगा हुआ था.
पुलिस ने बताया कि फोन करने वाले ने एक फर्जी ‘जांच रिपोर्ट’ साझा की, जिसमें महिला के आधार विवरण का उल्लेख था और उसे तथाकथित मानव तस्करी के मामले में झूठा फंसाया गया था. पुलिस के मुताबिक, अगले तीन दिनों तक महिला को बार-बार वीडियो कॉल की गईं और उच्चतम न्यायालय, कर्नाटक पुलिस विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज. दिखाकर परेशान किया गया.
पुलिस ने बताया कि महिला पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मुकदमा चलाने की धमकी दी गई और बैंक के पेंशन खाते से 6.6 लाख रुपये उन्होंने (धोखेबाजों ने) अपने खाते में डलवाये गए. पुलिस के मुताबिक, रुपये भेजने के बाद महिला को ‘ट्रांजेक्शन स्लिप’ साझा करने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें उसके बाद भी फर्जी नोटिस/आदेश भेजे गए और लगातार परेशान किया गया.
शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपियों द्वारा लगातार मानसिक पीड़ा, धमकियों और जबरन वसूली के कारण, उसकी मां को आठ सितंबर की सुबह सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर आईटी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.
नोएडा में एक सेवानिवृत्त उपनिदेशक को तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ 70 लाख की ठगी
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के एक सेवानिवृत उपनिदेशक को कथित रूप से तीन दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके साइबर अपराधियों ने उनसे एक करोड़ 70 लाख रुपए ठग लिये. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) प्रीति यादव ने बताया कि बीती रात को सेक्टर 62 के ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने शिकायत दर्ज करायी कि नौ सितंबर को एक व्यक्ति ने कॉल कर उनसे कहा कि आपका एक नंबर मुंबई से पंजीकृत है, उस नंबर से लोगों को फोन करके गाली-गलौज की जा रही है.
यादव के अनुसार श्रीवास्तव ने फोनकर्ता से कहा कि वह जिस नंबर को उनका नंबर बता रहा है वह उनके नाम से नहीं है और न ही वह कभी मुंबई गये. तब फोनकर्ता ने श्रीवास्तव से कहा गया कि इस मामले में एक मुकदमा दर्ज है और उन्हें मुंबई पुलिस से बात करनी होगी. पुलिस उपायुक्त का कहना है कि और तब फोन को मुंबई पुलिस के कथित अधिकारी को ट्रांसफर किया गया जिसने श्रीवास्तव से कहा कि उनके खिलाफ एक मुकदमा लंबित है तथा उनकी नरेश गोयल जेट एयरवेज के सह- संस्थापक से धनशोधन मामले में संलिप्तता पायी गयी. मुंबई के कथित अधिकारी ने श्रीवास्तव से यह भी कहा कि उन्होंने केनरा बैंक में खाता खुलवाया है जिसमें धनशोधन की रकम है.
यादव के मुताबिक तब मुंबई के कथित अधिकारी ने श्रीवास्तव को मुंबई आने अन्यथा हथकड़ी लगाकर उन्हें मुंबई लाये जाने की धमकी दी. जब श्रीवास्तव ने अपनी वृद्धावस्था का हवाला देकर मुंबई जाने से असमर्थता जतायी तब कथित अधिकारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने का विकल्प दिया. फिर कथित अधिकारी ने श्रीवास्तव से उनके बैंक खातों का विवरण लिया.
पुलिस उपायुक्त के अनुसार अदालत में श्रीवास्तव की डिजिटल पेशी का स्वांग रचा गया एवं फर्जी जांच करवायी गयी. फिर श्रीवास्तव से एक करोड़ 70 लाख रुपए अंतरित करवा लिये गये. उनसे कहा गया कि आप इस मामले की जिक्र किसी से नहीं करोगे. पुलिस उपायुक्त के अनुसार बाद में श्रीवास्तव के बेटे को इस बात का पता चला. उन्होंने 16 सितंबर को साइबर अपराध पुलिस को सूचना दी. उन्होंने बताया कि साइबर अपराध पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज किया है. पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि ठगी की रकम किन-किन खातों में अंतरित हुई है.


