नयी दिल्ली. शिक्षाविद और लेखक मकरंद आर. परांजपे की नयी पुस्तक इस बात की पड़ताल करती है कि महात्मा गांधी और विनायक दामोदर सावरकर के परस्पर विरोधी दृष्टिकोण (अहिंसक प्रतिरोध बनाम सशस्त्र विद्रोह, समावेशी बहुलवाद बनाम मुखर राष्ट्रवाद) भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत परिदृश्य को कैसे आकार देते रहे हैं.
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित ‘हिंदुत्व एंड हिंद स्वराज: हिस्ट्रीज फॉरगाटेन डबल्स’ पाठकों को द्वैतवादी अवधारणाओं से आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती है. यह पुस्तक भारत के वैचारिक विभाजनों के संदर्भ में एक अधिक सूक्ष्म, सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करती है खासकर गांधी और सावरकर के बीच के टकराव को लेकर.
परांजपे ने एक बयान में कहा, ”संवादात्मक शैली का उपयोग करते हुए, मैं हिंदुत्व और हिंद स्वराज के बीच संघर्ष के प्रमुख मुद्दों, विचारों और अंतर्दृष्टि का तीन मुख्य भागों में विश्लेषण और व्याख्या करता हूं. क्योंकि अपनी किसी भी या सभी व्यावहारिक या यथार्थवादी प्राथमिकताओं के बावजूद, हिंदुत्व और हिंद स्वराज सत्य की खोज है. व्यक्तियों के रूप में, और एक राष्ट्र के रूप में हमारा सत्य.” ‘हिंदुत्व और हिंद स्वराज’ पुस्तक की कीमत 799 रुपये है और यह दुकानों और ऑनलाइन मंच पर बिक्री के लिए उपलब्ध है.


