नयी दिल्ली. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बृहस्पतिवार को खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति फिर से स्थापित करने मांग संबंधी याचिका पर प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की टिप्पणी की यह कहते हुए आलोचना की कि बेहतर रहेगा कि हिंदू धर्म की मान्यताओं का मजाक उड़ाने वाली ऐसी टिप्पणियों से बचा जाए.
प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने इस याचिका को ‘प्रचार हित याचिका’ करार देते हुए मंगलवार को खारिज कर दिया था.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा,”यह पूरी तरह से प्रचार हित याचिका है… जाइए और स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए. यदि आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के अनन्य भक्त हैं, तो आप प्रार्थना कीजिए और थोड़ा ध्यान करिए.” मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बयान में कहा,”हमें लगता है कि प्रधान न्यायाधीश की मौखिक टिप्पणी से हिंदू धर्म की मान्यताओं का माखौल उड़ा है. ऐसी टिप्पणियों से बचना ही बेहतर होगा.” उन्होंने कहा कि अदालतें न्याय के मंदिर हैं जिन पर भारतीय समाज की आस्था और विश्वास है.
कुमार ने कहा, ”यह हमारा कर्तव्य है कि यह विश्वास न केवल बरकरार रहे, बल्कि और भी मज.बूत हो.” उन्होंने कहा,” खासकर अदालत के अंदर अपनी टिप्पणियों में संयम बरतना भी हमारा कर्तव्य है. यह जिम्मेदारी वादियों, वकीलों और न्यायाधीशों के लिए समान है.” इस बीच, प्रधान न्यायाधीश गवई ने बृहस्पतिवार को अपनी टिप्पणियों की ऑनलाइन आलोचना के बाद ‘सभी धर्मों’ के प्रति अपना सम्मान दोहराया.
उन्होंने कहा,”किसी ने मुझे बताया कि मेरी टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया है… मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं.” राकेश दलाल ने अपनी याचिका में छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा करने की मांग की थी. जावरी मंदिर मध्यप्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर का हिस्सा है. पीठ ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”यह एक पुरातात्विक खोज है, एएसआई ऐसा करने की अनुमति देगा या नहीं… इसमें कई मुद्दे हैं.” प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”इस बीच, अगर आप शैव धर्म के विरोधी नहीं हैं, तो आप वहां जाकर पूजा कर सकते हैं… वहां शिव का एक बहुत बड़ा लिंग है, जो खजुराहो के सबसे बड़े लिंगों में से एक है.” दलाल की याचिका में मूर्ति को बदलने या पुर्निनर्माण के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था और तर्क दिया गया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और एएसआई को कई बार ज्ञापन दिया गया है.


