मैसूरू दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के फैसले के खिलाफ याचिकाएं खारिज

vikasparakh
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बेंगलुरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस साल ‘मैसूरु दशहरा’ उत्सव के उद्घाटन के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सोमवार को खारिज कर दिया.
मुख्य न्यायाधीश विभु भाकरू और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की खंडपीठ ने मैसूरु से भाजपा के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा द्वारा दायर याचिका सहित चार याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता कोई संवैधानिक या कानूनी उल्लंघन की बात नहीं दिखा पाए.

पीठ ने कहा, ”हम यह मानने को तैयार नहीं हैं कि किसी अन्य धर्म का व्यक्ति राज्य द्वारा आयोजित किसी समारोह का उद्घाटन करे, तो याचिकाकर्ताओं के किसी कानूनी या संवैधानिक अधिकार या संविधान में निहित किसी भी मूल्य का उल्लंघन होगा. याचिकाएं खारिज की जाती हैं.” मैसूरु जिला प्रशासन ने तीन सितंबर को विपक्षी भाजपा सहित कुछ वर्गों की आपत्तियों के बावजूद, मुश्ताक को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया था. यह विवाद उन आरोपों से उपजा है कि बानू मुश्ताक ने अतीत में ऐसे बयान दिए हैं, जिन्हें कुछ लोग ‘हिंदू विरोधी’ और ‘कन्नड़ विरोधी’ मानते हैं.

सिम्हा और अन्य आलोचकों का तर्क है कि यह उत्सव पारंपरिक रूप से वैदिक अनुष्ठानों और देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ शुरू होता है, इसके उद्घाटन के लिए मुश्ताक का चयन, धार्मिक भावनाओं और इस आयोजन से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही परंपराओं का अनादर करता है. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता के. शशिकिरण शेट्टी ने कहा कि दशहरा का उद्घाटन राज्य का कार्यक्रम है. उन्होंने बताया कि उद्घाटन के लिए आमंत्रित किये जाने वाले व्यक्ति का चयन करने वाली समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ स्थानीय सांसद और विधायक भी शामिल थे.

शेट्टी ने अदालत से जनहित याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि चुनौती में दम नहीं है. मैसूरु में दशहरा उत्सव 22 सितंबर से शुरू होगा और 2 अक्टूबर को विजयादशमी पर इसका समापन होगा. राज्य सरकार द्वारा बानू मुश्ताक को दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के निर्णय पर भाजपा नेताओं और अन्य लोगों ने आपत्ति जताई है.

इससे पहले, एक पुराना वीडियो वायरल हुआ जिसमें मुश्ताक को कथित तौर पर कन्नड़ भाषा की, ‘देवी भुवनेश्वरी’ के रूप में पूजा करने पर आपत्ति जताते और यह कहते हुए सुना जा सकता है कि यह उनके जैसे लोगों (अल्पसंख्यकों) के लिए बहिष्कार करने वाला है.
कई भाजपा नेताओं ने मुश्ताक से दशहरा का उद्घाटन करने की सहमति देने से पहले देवी चामुंडेश्वरी के प्रति अपनी श्रद्धा स्पष्ट करने को कहा था. हालांकि, मुश्ताक ने कहा है कि उनके पुराने भाषण के चुनिंदा हिस्सों को सोशल मीडिया पर डाल कर उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.

भाजपा पर मैसूरु दशहरा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हाल में कहा था कि यह उत्सव सभी समुदायों के लोगों द्वारा ‘नाडा हब्बा’ (राज्य उत्सव) के रूप में मनाया जाता है और लेखिका बानू मुश्ताक को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने पर सम्मानित करने के लिए इसका उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया है.

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