अमेरिकी शुल्क मुद्दा: प्रधानमंत्री मोदी ‘देश के दुश्मन’ बन गए हैं: खरगे

vikasparakh
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कलबुर्गी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमेरिकी शुल्क (टैरिफ) मुद्दे का जिक्र करते हुए रविवार को दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोस्त हो सकते हैं, लेकिन मोदी ”देश के दुश्मन” बन गए हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मोदी और ट्रंप एक-दूसरे के लिए अच्छे हो सकते हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के लिए वोट मांगते हैं. खरगे ने दावा किया कि मोदी-डोनाल्ड ट्रंप गठबंधन भारत की कीमत पर हुआ है.

उन्होंने आरोप लगाया, ”वह (ट्रंप) और मोदी दोस्त हो सकते हैं, लेकिन मोदी देश के दुश्मन बन गए हैं. उन्होंने माहौल खराब कर दिया है.” अमेरिकी शुल्क के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए खरगे ने आरोप लगाया, ”ट्रंप ने बहुत बड़ा शुल्क लगाया. पचास प्रतिशत शुल्क के बाद, उन्होंने हमारे लोगों को बर्बाद कर दिया.” उन्होंने कहा, ”आप अपनी विचारधारा पर चलें और देश के लोगों की रक्षा करें, क्योंकि राष्ट्र पहले आता है और आपकी मित्रता बाद में आती है.” खरगे ने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि वह इस बात को समझें कि भारत ने दशकों तक तटस्थता और गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति अपनाई है तथा उसे इसी रास्ते पर आगे बढ.ना चाहिए.

संशोधित माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों पर खरगे ने कहा कि कांग्रेस गरीबों को लाभ पहुंचाने वाले किसी भी कदम का स्वागत करेगी, लेकिन उन्होंने भाजपा सरकार पर वर्षों से लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया, ”हमने आठ साल पहले यह मुद्दा उठाया था. हमने कहा था कि अगर दो स्लैब होंगे, तो इससे गरीब लोगों को फायदा होगा, लेकिन उन्होंने चार से पांच स्लैब पेश किए और लोगों को लूटा. चुनाव नजदीक आने के बाद, उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा और उन्होंने जीएसटी स्लैब में संशोधन किया.”

खरगे ने मोदी के पहले के दावे का भी उल्लेख किया कि चीन की ओर से ”किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया” और कहा कि ”अब मोदी स्वयं चीन में प्रवेश कर गए हैं.” कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि विपक्ष राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर एकजुट है, लेकिन वह मोदी को समर्थन का दुरुपयोग नहीं करने देगा. उन्होंने कहा, ”देश के मामले में हम एक हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि क्योंकि हम आपका समर्थन कर रहे हैं, इसलिए आपको मनमाने ढंग से काम करना चाहिए. हम इसमें विश्वास नहीं करते.” खरगे ने मोदी पर ट्रंप के साथ खुलेआम गठजोड़ करके भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ”उन्होंने यह कहकर भारत की स्थिति खराब कर दी कि ‘ट्रंप मेरे मित्र हैं’ और ‘फिर एक बार ट्रंप’.” खरगे ने कहा कि यदि भारत ने अपनी गुटनिरपेक्ष नीति जारी रखी होती, जिसका पालन उसने आजादी के बाद से किया है, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती.
उन्होंने उन मुद्दों को सूचीबद्ध किया जिन्हें कांग्रेस बिहार में आगामी चुनावों में उजागर करने की योजना बना रही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ”हमारे पास कई मुद्दे हैं; बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, महिलाओं पर यौन उत्पीड़न… दलितों और पिछड़ों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है, और किसानों को खाद नहीं मिल रहा है. ‘वोट चोरी’ का मुद्दा भी हमारा मुख्य एजेंडा है.”

कर्नाटक ‘मतदाता धोखाधड़ी’ मामले में महत्वपूर्ण जानकारी छिपा रहा निर्वाचन आयोग: खरगे

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि निर्वाचन आयोग को पूर्ण पारर्दिशता सुनिश्चित करनी चाहिए और ”भाजपा के एजेंट” की तरह काम करना बंद करना चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने निर्वाचन आयोग पर ”अहम जानकारी छिपाने” का आरोप लगाया और दावा किया कि यह कथित ‘वोट चोरी’ के पीछे के लोगों को प्रभावी ढंग से बचा रहा है.

खरगे ने ‘एक्स’ पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें दावा किया गया था कि 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले फॉर्म सात में जालसाजी कर मतदाताओं के नाम हटाने के प्रयास से संबंधित मामला ठंडा पड़ गया है क्योंकि निर्वाचन आयोग ने अब तक आरोपियों को पकड़ने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण आंकड़े साझा नहीं किये हैं. निर्वाचन आयोग ने फिलहाल इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन उसने अतीत में कांग्रेस के ऐसे सभी दावों को निराधार बताया था. खरगे ने प्रश्न किया, ” क्या निर्वाचन आयोग (ईसीआई) अब ”वोट चोरी के लिए भाजपा का बैक-ऑफिस” बन गया है.

उन्होंने कहा,” इस घटनाक्रम को समझिए. मई 2023 के कर्नाटक चुनावों से पहले कांग्रेस ने अलंद निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाने का खुलासा किया था. फॉर्म सात में जालसाजी कर एक बेहद जटिल प्रक्रिया के जरिए हजारों मतदाताओं के अधिकार छीन लिए गए.” खरगे ने कहा, ”फरवरी 2023 में एक मामला दर्ज किया गया. जांच में 5,994 जाली आवेदन सामने आए जो मतदाता धोखाधड़ी के बड़े पैमाने पर प्रयास का स्पष्ट प्रमाण था. इसके बाद कांग्रेस सरकार ने दोषियों को पकड़ने के लिए सीआईडी ??जांच का आदेश दिया.”

खरगे ने कहा, ” लेकिन दिक्कत यहां है: जहां आयोग ने पहले जालसाजी का पता लगाने के लिए जरूरी दस्तावेजों का एक हिस्सा साझा किया था, वहीं अब उसने महत्वपूर्ण जानकारी छिपा ली है और ‘वोट चोरी’ के पीछे के लोगों को प्रभावी ढंग से बचा रहा है!” उन्होंने पूछा कि निर्वाचन आयोग ने अचानक महत्वपूर्ण सबूतों को क्यों छिपाया? कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ” आयोग किसे बचा रहा है? भाजपा के ‘वोट चोरी’ विभाग को? क्या आयोग भाजपा के दबाव में आ रहा है ताकि सीआईडी ??जांच को पटरी से उतारा जा सके?” खरगे ने कहा कि व्यक्ति के वोट देने के अधिकार और भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की जानी चाहिए.

इसी मीडिया रिपोर्ट को साझा करते हुए कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने निर्वाचन आयोग पर अलंद निर्वाचन क्षेत्र में ”धोखाधड़ी से मतदाताओं के नाम हटाने” के मामले में कर्नाटक सीआईडी ??जांच में महत्वपूर्ण दस्तावेजों को रोकने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इससे एक बार फिर ”बड़े पैमाने पर मतदान में धांधली साबित करने वाले महत्वपूर्ण सबूतों को छिपाने में उनकी संलिप्तता साबित होती है.” कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर कहा कि कर्नाटक सरकार ईसीआई के दस्तावेजों के आधार पर अपनी जांच कर रही है, जो भारत में सभी चुनावों का आधार है.

वेणुगोपाल ने कहा, ”निर्वाचन आयोग द्वारा सबूतों को छिपाना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी के खिलाफ है. उन्हें पूरी पारर्दिशता सुनिश्चित करनी चाहिए और भाजपा के एजेंट की तरह काम करना बंद करना चाहिए.” उन्होंने कहा, ”इससे साबित होता है कि विपक्ष की चेतावनियां सही साबित हो रही हैं. निर्वाचन आयोग और भाजपा मिलकर दिनदहाड़े मतों की लूट की साजिश रच रहे हैं. निर्वाचन आयोग अब जवाबदेही से बच नहीं सकता; उसे लोकतंत्र के खिलाफ इस अपराध में मिलीभगत के लिए भारत की जनता को जवाब देना होगा.” उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को जवाब देना चाहिए कि विपक्ष की ओर से पारर्दिशता की कई मांगों के बावजूद वे ”चुप” क्यों हैं.

वेणुगोपाल ने पूछा, ”भाजपा के किस दबाव ने उसे यह टकराव वाला रुख अपनाने पर मजबूर किया है? चूंकि उच्चतम न्यायालय पहले ही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित जानकारी छिपाने के लिए निर्वाचन आयोग को फटकार लगा चुका है, तो फिर वह पारर्दिशता की मांग का विरोध क्यों कर रहा है?”

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