मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने आज कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के संबंध में, सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। चुनाव आयोग के राज्य के दो दिवसीय समीक्षा दौरे के अंतिम दिन पटना में मीडिया से बात करते हुए, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की है, उनके विचार सुने हैं और चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप देते समय सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में मतदाताओं, राजनीतिक दलों और सभी हितधारकों को सुखद अनुभव होगा, क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए 17 नए उपाय शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग लागू की जाएगी। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, राजनीतिक दलों के बूथ स्तरीय एजेंटों-बीएलए को मतदान शुरू होने से पहले मॉक पोल में भाग लेने और मतदान समाप्त होने के बाद फॉर्म 17सी जमा करने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि जब मतदाता वोट डालने जाएँगे, तो उन्हें ईवीएम मतपत्र पर उम्मीदवारों के नाम के साथ उनकी रंगीन तस्वीरें भी दिखाई देंगी, और मतदाता पर्चियों पर भी बड़े अक्षरों में नाम छपे होंगे ताकि मतदाताओं को अपना मतदान केंद्र ढूँढ़ने में आसानी हो। उन्होंने यह भी घोषणा की कि मतदाताओं को अब मतदान केंद्रों के बाहरी क्षेत्र में अपने मोबाइल फ़ोन ले जाने की अनुमति होगी – यह सुविधा पहली बार शुरू की जा रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि राजनीतिक दलों को मतदान केंद्रों से केवल 100 मीटर की दूरी पर मतदान एजेंट बूथ स्थापित करने की अनुमति होगी, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने ईसीआई नेट एप्लिकेशन के प्रगतिशील कार्यान्वयन का भी उल्लेख किया और कहा कि यह वन-स्टॉप समाधान चुनाव के सभी हितधारकों को तकनीक-प्रेमी चुनाव प्रचार के एक नए युग में ले जाएगा। उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) बड़ी सटीकता के साथ किया गया और 90,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के सहयोग और समर्पण से सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
श्री कुमार ने सभी बूथ स्तरीय अधिकारियों के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप, मसौदा मतदाता सूची के संबंध में दावे और आपत्तियाँ बहुत कम आईं। उन्होंने आगे कहा कि मतदाता सूचियों में दोहरे पंजीकरण के मुद्दे के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ी है, और इसलिए 3 लाख 66 हजार मतदाताओं ने स्वेच्छा से अपना नाम मतदाता सूची से हटवाने के लिए आवेदन किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कानूनी रूप से वैध है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया गया था। उन्होंने स्वीकार किया कि एसआईआर की प्रक्रिया की कुछ आलोचना हुई है, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि बड़ी संख्या में मतदाताओं, राजनीतिक दलों और लोकतंत्र के अन्य हितधारकों ने इसका व्यापक रूप से स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि बिहार में एसआईआर का सफल समापन देश भर में मतदाता सूची शुद्धिकरण के लिए प्रेरणा का काम करेगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने वैशाली में लोकतंत्र की उत्पत्ति का उल्लेख किया और विश्वास व्यक्त किया कि वैशाली एसआईआर के माध्यम से पूरे भारत में मतदाता सूची के शुद्धिकरण में देश का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने बीएलओ और अन्य अधिकारियों के प्रति उनके समर्पित कार्य के लिए आभार व्यक्त किया। श्री कुमार ने कहा कि चुनाव के बाद मतदाता सूची में संशोधन करना उचित प्रतीत नहीं होता, क्योंकि एसआईआर ने पहले ही मतदाता सूची का पूर्ण शुद्धिकरण सुनिश्चित कर लिया है। आधार के उपयोग के संबंध में, मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में, आयोग मतदाताओं से आधार विवरण स्वीकार कर रहा है। परन्तु, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मतदान के अधिकार के लिए भारत की नागरिकता एक अनिवार्य कानूनी आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि यद्यपि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान आधार एकत्र किया गया था, इसे निवास, जन्म तिथि या नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं माना जा सकता। इसलिए, मतदाता पंजीकरण और नामांकन के लिए आयोग द्वारा निर्धारित अन्य दस्तावेज़ आवश्यक हैं।
इससे पहले, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में, चुनाव आयोग की टीम ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में दो दिनों तक गहन विचार-विमर्श किया। पूरी टीम में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर संधू और डॉ. विवेक जोशी शामिल थे।
पहले दिन, आयोग ने 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की और मतदान व्यवस्थाओं के संबंध में उनके सुझाव प्राप्त किए। इसने सभी 38 जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ भी बैठकें कीं। दूसरे दिन आयोग ने विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुखों और नोडल अधिकारियों, राज्य तथा केन्द्रीय पुलिस अधिकारियों, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ अलग-अलग सत्रों में बैठक की।
