नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को भगोड़े अपराधियों को निर्वासित और प्र्त्यियपत करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि प्रत्यर्पण महत्वपूर्ण है और निर्वासन के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण भी उतना ही आवश्यक है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वापक रोधी कार्य बल (एएनटीएफ) प्रमुखों के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की इस दिशा में सराहनीय कार्य के लिए प्रशंसा की और एएनटीएफ प्रमुखों से सीबीआई निदेशक के साथ समन्वय स्थापित करने का आग्रह किया, ताकि मादक पदार्थों के साथ-साथ आतंकवाद और गिरोह से जुड़े अपराधों के लिए भी प्रभावी प्रत्यर्पण तंत्र तैयार किया जा सके.
उन्होंने कहा, ”जैसे प्रत्यर्पण महत्वपूर्ण है, वैसे ही निर्वासन के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण भी उतना ही आवश्यक है. अपराधियों को निर्वासित करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्वासन प्रक्रियाओं में उदार दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए.” शाह ने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त विदेशी अपराधियों और भगोड़ों को वापस लाने के लिए स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी), सीबीआई और राज्य पुलिस का एक संयुक्त तंत्र बनाना बेहद ज.रूरी है.
उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ गिरोह पर लगाम लगाने के लिए ”डार्कनेट, क्रिप्टो करेंसी, कम्युनिकेशन पैटर्न, लॉजिस्टिक्स, फायनेंशियल फ्लो का एनालिसिस और ‘मशीन र्लिनंग’ मॉडल” जैसी तकनीकों को अपनाना होगा. शाह ने जोर देकर कहा कि यह तभी संभव है जब ‘नशामुक्त भारत’ अभियान में शामिल सभी लोग इस लड़ाई की जिम्मेदारी लें. उन्होंने मादक पदार्थों के खतरे से लड़ने वालों से हर वर्ष 12 दिन इस संघर्ष को सर्मिपत करने का आह्वान किया और कहा कि ऐसे संकल्प के बिना इस अभियान का विस्तार सोचा भी नहीं जा सकता.
गृह मंत्री ने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में ‘सिंथेटिक ड्रग्स’ और ‘लैब’ का चलन बढ. सकता है. उन्होंने हर राज्य के एएनटीएफ प्रमुखों से सतर्क रहने, ऐसी ‘लैब’ और ‘सिंथेटिक ड्रग्स’ की पहचान कर उन्हें नष्ट करने का आह्वान किया. गृह मंत्री ने इस क्षेत्र में पिछले वर्ष हुई प्रगति को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि ऐसी लैब और मादक पदार्थ का निर्माण पूरी तरह रोका जाना चाहिए.
शाह ने कहा कि हर राज्य को एक विशेष दस्ते का गठन करना चाहिए, जो वित्तीय लेन-देन के सुराग तलाशे, हवाला नेटवर्क पर निगरानी रखे, क्रिप्टो लेन-देन पर नजर रखे और साइबर जांच करे, तभी इस लड़ाई को निर्णायक रूप से लड़ा जा सकेगा. उन्होंने यह भी कहा कि हर राज्य में स्वापक पर केंद्रित एक फोरेंसिक प्रयोगशाला होनी चाहिए, ताकि अपराधियों को आसानी से जमानत न मिल सके.


