रेवंत रेड्डी के खिलाफ मानहानि मामले को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली भाजपा की याचिका खारिज

vikasparakh
0 0
Read Time:4 Minute, 14 Second

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान दिए गए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के भाषण को लेकर उनके खिलाफ मानहानि के मामले को रद्द करने के उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली प्रदेश भाजपा की याचिका सोमवार को खारिज कर दी.

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है. पीठ ने कहा, ”हम बार-बार कह रहे हैं कि इस अदालत का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए न करें. याचिका खारिज की जाती है. अगर आप नेता हैं, तो आपकी चमड़ी मोटी होनी चाहिए.” तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक अगस्त को रेड्डी की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें हैदराबाद की एक निचली अदालत में लंबित मामले की सुनवाई को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तेलंगाना इकाई के महासचिव ने मई 2024 में रेड्डी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने पार्टी के खिलाफ अपमानजनक और भड़काऊ भाषण दिया. इसमें आरोप लगाया गया कि रेड्डी ने तेलंगाना कांग्रेस के साथ मिलकर एक फर्जी और संदिग्ध राजनीतिक कहानी गढ़ी कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वह आरक्षण खत्म कर देगी.

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि कथित मानहानिकारक भाषण से एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है.
पिछले साल अगस्त में एक निचली अदालत ने कहा था कि रेड्डी के खिलाफ तत्कालीन भारतीय दंड संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के तहत कथित मानहानि के अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है. अधिनियम की धारा 125 चुनाव के संबंध में विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित है.

रेड्डी ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए दलील दी कि शिकायत में लगाए गए आरोपों से उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता. उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक भाषणों को मानहानि का विषय नहीं बनाया जा सकता.
इस पर उच्च न्यायालय ने कहा था, ”यह अदालत कथित भाषण की विषयवस्तु और उसकी मानहानिकारक प्रकृति के मुद्दे पर चर्चा करने से परहेज करती है. हालांकि, यह अदालत याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत है कि जहां राजनीतिक भाषण शामिल हों, वहां मानहानि का आरोप लगाने और सीआरपीसी की धारा 199 के तहत शिकायत दायर करने की सीमा कहीं अधिक ऊंची होनी चाहिए. राजनीतिक भाषणों को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. यह आरोप लगाना कि ऐसे भाषण मानहानिकारक हैं, एक और अतिशयोक्ति है.” रेड्डी की याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश और मामले से उत्पन्न कार्यवाही को रद्द कर दिया था.

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Next Post

प्रधानमंत्री मोदी ने यरुशलम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को यरुशलम में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की अपनी नीति पर अडिग है. उत्तरी यरुशलम में एक बस स्टॉप पर फलस्तीनी हमलावरों द्वारा की गई गोलीबारी में […]

You May Like