100 वर्ष की यात्रा में संघ का महत्वपूर्ण योगदान समाज के विभिन्न वर्गों में आत्म जागरूकता और गौरव का जागरण रहा है: प्रधानमंत्री मोदी

vikasparakh
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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के समय से ही देशभक्ति और सेवा का पर्याय रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि विभाजन के कष्टदायक दौर में, जब लाखों परिवार विस्थापित हुए थे, स्वयंसेवक, सीमित संसाधनों के साथ शरणार्थियों की सेवा में सबसे आगे खड़े रहे। उन्होंने कहा कि यह केवल राहत कार्य नहीं था, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को मज़बूत करने का कार्य भी था।

 

आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अपनी एक सौ साल की यात्रा में संघ का सबसे महत्वपूर्ण योगदान समाज के विभिन्न वर्गों में आत्म-जागरूकता और गौरव का जागरण रहा है। श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के सबसे दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में, विशेष रूप से भारत के लगभग दस करोड़ आदिवासी भाइयों और बहनों के बीच, लगातार काम किया है।

 

उन्होंने कहा कि जहाँ एक ओर सरकारें अक्सर इन समुदायों की अनदेखी करती रहीं, वहीं संघ ने उनकी संस्कृति, त्योहारों, भाषाओं और परंपराओं को प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि संगठन ने सामाजिक सद्भाव को हमेशा प्राथमिकता दी है। उन्‍होंने कहा कि आज देश ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो सीधे तौर पर उसकी एकता, संस्कृति और सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। इनमें अलगाववादी विचारधाराओं और क्षेत्रवाद से लेकर जाति और भाषा के विवाद और बाहरी ताकतों द्वारा भड़काई गई विभाजनकारी प्रवृत्तियाँ शामिल हैं।

 

प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्‍लेख किया कि भारत की आत्मा हमेशा “विविधता में एकता” में निहित रही है। उन्‍होंने चेतावनी दी कि यदि इस सिद्धांत को तोड़ा गया, तो भारत की शक्ति कम हो जाएगी। उन्होंने इस मूलभूत लोकाचार को निरंतर सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने समाज से स्वदेशी के मंत्र को सामूहिक संकल्प के रूप में अपनाने का आह्वान किया ।

 

उन्‍होंने सभी से “वोकल फॉर लोकल” अभियान को सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा समर्पित करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक राष्ट्र की सेवा और समाज को सशक्त बनाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्‍होंने याद दिलाया कि इसके स्वयंसेवकों ने 1963 में गणतंत्र दिवस परेड में भी भाग लिया था और गर्व से मार्च किया था।

 

इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान को रेखांकित करते हुए एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।
श्री मोदी ने कहा कि कल विजयादशमी है, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अन्याय पर न्याय की जीत, असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।

 

इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोगों में राष्ट्र निर्माण और सांस्कृतिक चेतना की भावना जगाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ के कार्यों और गतिविधियों को देश के हर कोने में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज संगठन द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रकार के कार्यों से परिचित है। उन्होंने आगे कहा कि संगठन के स्वयंसेवक समाज को एक सूत्र में पिरोते हुए सामाजिक विकास, राष्ट्र सेवा, सुरक्षा और कल्याण से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से संलग्न हैं।

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