जम्मू. जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक मेहराज मलिक के पिता शम्सुद्दीन मलिक ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से कहा है कि वह अदालतों में लड़ाई जारी नहीं रख सकते और अपने बेटे को रिहा कराना चाहते हैं.
सरकार के कटु आलोचक मेहराज मलिक को सोमवार को लोक शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर कठुआ जेल भेजा गया था.
जिस जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मलिक को गिरफ्तार किया गया है वह आमतौर पर आतंकवादियों और अलगाववादियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है और एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि के खिलाफ इसे लगाए जाने को लेकर जम्म-कश्मीर में राजनीतिक बवाल मच गया है.
डोडा में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए जिसके बाद प्रशासन ने यहां निषेधाज्ञा लागू की और प्रदर्शनकारियों व सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़कों में अब तक 70 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है. मंगलवार से शुरू हुई इन हिंसक झड़पों में एक उप पुलिस अधीक्षक और एक थाना प्रभारी समेत आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए.
मुख्यमंत्री से मंगलवार को मुलाकात बाद शम्सुद्दीन ने कहा, “मैंने अपना बेटा लोगों को दे दिया था, अब मैं उसे वापस चाहता हूं. मैं मुख्यमंत्री से मिला, जिन्होंने हमारी बात सुनी और कहा कि वे देखेंगे कि क्या कर सकते हैं. मैंने उनसे कहा कि मैं बार-बार अदालतों के चक्कर नहीं लगाना चाहता. मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे उपराज्यपाल से बात करें और मेरे बेटे को रिहा करवाएं. उन्हें इसकी जांच करने दीजिए.” उन्होंने कहा, “अदालत में यह एक लंबी प्रक्रिया है. वह अपनी चार बेटियों की देखभाल करेगा या अदालतों के चक्कर लगाएगा? उसकी मां रो रही है. उसकी चार बेटियां हैं, वे सभी रो रही हैं.”
उन्होंने पीएसए के तहत विधायक की गिरफ्तारी को ”व्यक्तिगत दुश्मनी” का परिणाम बताया. शम्सुद्दीन ने कहा, “उपायुक्त (डीसी) इसे बेहतर जानते हैं. डीसी की वजह से मेरे बेटे पर पीएसए की कई धाराएं लगाई गई हैं. वे लोगों के मुद्दों पर एक-दूसरे से लड़ रहे थे. डीसी ने इसे निजी रंजिश बना लिया. उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए और मेरे बेटे को रिहा किया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि यह मेहराज और उपायुक्त के बीच सार्वजनिक मुद्दों को लेकर व्यक्तिगत टकराव था, लेकिन कुछ लोगों ने प्रशासन को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए उकसाया.
उन्होंने कहा, “जब एक बूढ़ी महिला मेहराज के सामने रोने लगी, तो उन्हें गुस्सा आ गया और जब इंसान गुस्से में होता है, तो वह कुछ भी कर सकता है. वे (डीसी और विधायक) लड़ रहे थे, लेकिन लोगों के एक वर्ग ने इसे मुद्दा बना लिया, जिसके परिणामस्वरूप यह कार्रवाई हुई.” शम्सुद्दीन ने सिख भावनाएं आहत करने के आरोपों को भी खारिज किया.
उन्होंने कहा, ”एक बार जरा जम्मू के गजनसू मरह में सिखों से पूछें जहां उसने वर्षों काम किया. सिख अधिकारियों से उसके हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं. मेरा बेटा सिखों के बीच पला-बढ़ा और उन्हीं के साथ पढ़ा-लिखा है. हमारे पड़ोसी सिख हैं. उस पर ऐसा इल्जाम लगाना गलत है.” शम्सुद्दीन ने बताया कि आप नेता संजय सिंह बुधवार को जम्मू आए थे और मैने उनसे इस संबंध में कदम उठाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ”मुझे पार्टी से मतलब नहीं है, मैं सिर्फ अपना बेटा चाहता हूं.” डोडा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक मेहराज मलिक को सोमवार को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया.
संजय सिंह को अवैध रूप से हिरासत में रखा, इससे अच्छा संदेश नहीं गया: उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को यहां अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है. डोडा से आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक को कड़े जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिये जाने के बाद सिंह अन्य पार्टी सदस्यों के साथ बुधवार को यहां पहुंचे. पुलिस ने बृहस्पतिवार को सिंह समेत आप नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को र्सिकट हाउस से बाहर जाने से रोककर मलिक को हिरासत में लेने के खिलाफ पार्टी के मार्च को विफल कर दिया.
उमर अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”डोडा के विधायक के खिलाफ पीएसए का इस्तेमाल गलत है. और अब आपने एक राज्यसभा सदस्य को अवैध रूप से हिरासत में लेकर इस गलती को और बड़ा बना दिया है. क्या आपने उन्हें हिरासत में लेने का कोई आदेश दिया है?” उन्होंने कहा, ”यह जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है और इससे जो संदेश जा रहा है वह भी अच्छा नहीं है. जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें अपने कृत्यों पर पुर्निवचार करना चाहिए.” उन्होंने कहा, ”अगर आपको उनके (विधायक के) व्यवहार पर आपत्ति थी, तो इसे विधानसभा सचिवालय या अध्यक्ष के समक्ष उठाया जा सकता था. लेकिन पीएसए का इस्तेमाल गलत है.” मलिक के पिता से मुलाकात के बारे में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.
उन्होंने कहा, ”आप नेताओं को मेरी सलाह है कि वे ऐसे वकील को नियुक्त करें जो पीएसए को समझता हो और ऐसे मामलों से जुड़ा रहा हो. यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में कहीं भी लागू नहीं है. अगर वे बाहर से वकील लाते हैं, तो उसे कानून समझने में समय लगेगा.” उन्होंने कहा, ”मैंने कुछ वकीलों से बात की है… मुझे खुद 2020 में पीएसए के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ी थी. मैंने यहां एक वकील को नियुक्त किया जिन्होंने उच्चतम न्यायालय में मामला लड़ा था.” मुख्यमंत्री ने नेताओं की नजरबंदी को तथ्य के बजाय दावे के रूप में पेश करने के लिए मीडिया पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा, ”आप ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जैसे संजय सिंह झूठ बोल रहे हों. यह उनका दावा नहीं, बल्कि सच्चाई है. चैनल और अखबार बार-बार कहते हैं कि हम (नेता) दावा कर रहे हैं… जबकि यह दावा नहीं, बल्कि सच्चाई है.” उमर अब्दुल्ला ने 13 और 14 जुलाई की घटनाओं को याद करते हुए कहा कि वे दावे नहीं, बल्कि हकीकत हैं.
उन्होंने कहा, ”13 जुलाई को हमने यह दावा नहीं किया था कि हमें हिरासत में लिया गया है, बल्कि हमें हिरासत में लिया गया था. 14 जुलाई को हमने यह दावा नहीं किया था कि हमारे साथ दुर्व्यवहार हुआ है, बल्कि हमारे साथ दुर्व्यवहार हुआ. और आज भी यह हकीकत है कि संजय सिंह को हिरासत में लिया गया है. इसके क्या कारण हैं? यह तो वही लोग बता सकते हैं जो इस फैसले के पीछे हैं.” अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने वाला उपराज्यपाल प्रशासन दावा करता है कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ठीक है. मुख्यमंत्री ने कहा, ”वे दावा करते हैं कि माहौल अच्छा है और लोग खुश हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे मनमानी के अलावा कुछ नहीं करते. उन्होंने हमारे साथ भी ऐसा किया, उन्होंने मेहराज मलिक को गिरफ्तार करने के लिए गलत कानून का इस्तेमाल किया क्योंकि गिरफ्तारी का कोई कारण नहीं है.”


