रायपुर. प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को करोड़ों रुपये के कथित ‘शराब घोटाले’ मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की. ईडी के मुताबिक 2,100 करोड़ रुपये का यह कथित शराब घोटाला राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था.
ईडी के अधिवक्ता सौरभ कुमार पांडे ने पीटीआई-भाषा को बताया कि लगभग 7,039 पृष्ठों की अभियोजन शिकायत यहां विशेष अदालत में पेश की गई, जिसमें चैतन्य को आरोपी बनाया गया है. उन्होंने कहा, ”डिजिटल साक्ष्य और अन्य साक्ष्यों वाली एक हार्ड डिस्क भी जमा की गई है.” उन्होंने कहा कि चैतन्य ने राज्य में शराब ‘घोटाले’ से उत्पन्न एक हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की ‘अपराध की आय’ का ‘संचालन’ किया और अपने व्यावसायिक उपक्रमों के विकास के लिए अपराध की आय का उपयोग किया.
पांडे ने कहा कि ईडी को उनके द्वारा कथित तौर पर 22 करोड़ रुपये की अपराध की आय के उपयोग के बारे में ठोस सबूत मिले हैं.
चैतन्य बघेल को ईडी ने 18 जुलाई को राज्य के दुर्ग जिले के भिलाई शहर में उनके घर की तलाशी के बाद गिरफ्तार किया था. वह अपने पिता भूपेश बघेल के साथ ही रहते हैं.
ईडी ने एक बयान में दावा किया था कि चैतन्य ने राज्य में शराब ‘घोटाले’ से उत्पन्न एक हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की ‘अपराध की आय’ का ‘संचालन’ किया और अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विकास के लिए 16.7 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया.
इसमें कहा गया है, “यह पाया गया कि उन्होंने उक्त नकद राशि (अपराध की आय) का उपयोग अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास में किया था.” भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है और वे उनके साथ सहयोग करेंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे के खिलाफ ईडी की कार्रवाई राज्य में कोयला खदानों के लिए ‘पेड़ों की अवैध कटाई’ से ध्यान हटाने के लिए शुरू की गई थी. ईडी ने कहा है कि कथित घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को ‘भारी नुकसान’ हुआ और एक शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबें 2,100 करोड़ रुपये से अधिक भर गईं. ईडी के अनुसार, राज्य में यह ‘घोटाला’ 2019 और 2022 के बीच रचा गया था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था.
ईडी ने मामले की जांच के दौरान जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था. वहीं इस मामले में अनवर ढेबर, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो ने 2023 के चुनाव में कांग्रेस के हारने और भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार बनने के बाद पिछले साल जनवरी में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा तथा पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया था. ईडी के अनुसार, शराब की अवैध बिक्री के माध्यम से उत्पन्न कथित कमीशन को ‘राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक लोगों के निर्देशों के अनुसार’ साझा किया गया था.


