चेन्नई/खान यूनिस/वाशिंगटन. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बृहस्पतिवार को कहा कि गाजा में लोगों को हो रही पीड़ा से वह अत्यंत व्यथित हैं और इस मामले में सरकार को दृढ़ता से बोलना चाहिये स्टालिन ने ज़ोर देकर कहा कि भारत को इस मुद्दे पर स्पष्ट और दृढ़ स्वर में बोलना चाहिए तथा विश्व समुदाय को इस भयावहता को समाप्त करने के लिए एकजुट होना चाहिए.
उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ”गाज़ा कराह रहा है, दुनिया को आंखें मूंदे नहीं रहना चाहिए. गाजा में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर मैं शब्दों से परे व्यथित हूं. हर दृश्य हृदय विदारक है – नवजातों की चीखें, भूख से तड़पते बच्चे, अस्पतालों पर बमबारी, और संयुक्त राष्ट्र की जांच आयोग द्वारा घोषित किया गया नरसंहार – यह सब मिलकर उस पीड़ा को दर्शाते हैं, जो किसी भी इंसान को कभी नहीं झेलनी चाहिए.” उन्होंने आगे लिखा, ”जब निर्दोष लोगों का इस तरह से दमन किया जा रहा हो, तो चुप्पी कोई विकल्प नहीं हो सकती. हर ज़मीर को जागना चाहिए. भारत को दृढ़ता से अपनी बात रखनी चाहिए, दुनिया को एकजुट होना चाहिए और हमें मिलकर इस भयावहता को अभी समाप्त करना होगा.”
फिर गाजा छोड़कर जाने को मजबूर हुए फलस्तीनी परिवार की निराशा बढ़ी
नेमान अबू जराद और उनके परिवार के सदस्यों पर थकान, निराशा और गुस्सा हावी होता जा रहा है. और हो भी क्यों न, गाजा पट्टी में हिंसा के चलते उन्हें 11वीं बार अपना बसा-बसाया घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर जो होना पड़ा है. नेमान कहते हैं, “हम फिर से यातना के दौर में लौट गए हैं. हम बार-बार विस्थापित नहीं हो रहे हैं, हम घुट-घुटकर मर रहे हैं.” इजराइल की बढ़ती बमबारी और जमीनी कार्रवाई शुरू करने की तैयारियों के बीच नेमान का परिवार पिछले हफ्ते अपनी कीमती वस्तुएं लेकर गाजा शहर से दक्षिण में खान यूनिस चला गया.
खान यूनिस में परिवार एक बंजर भूमि पर तंबू लगाकर रहने लगा है. हालांकि, परिवार को पता नहीं है कि आने वाले दिनों में उसे खाना-पानी नसीब हो पाएगा भी या नहीं. सात अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले के बाद दोनों पक्षों में छिड़ी लड़ाई के चलते उत्तरी गाजा में अपना पुश्तैनी घर छोड़ने के लिए मजबूर हुआ नेमान का परिवार लगभग दो साल से विस्थापन का दंश झेल रहा है.
इजराइल के लगातार अलग-अलग क्षेत्रों को निशाना बनाने के कारण नेमान के परिवार के पास अन्य लाखों फलस्तीनी परिवारों की तरह समय-समय पर अपना ठिकाना बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. नेमान के मुताबिक, जनवरी में इजराइल और हमास के बीच हुए अस्थाई युद्ध-विराम के दौरान उसका परिवार उत्तर गाजा में अपने घर लौटा था, जो इजराइली हमलों के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन अपनी जगह पर खड़ा था. हालांकि, दो महीने के भीतर इजराइल ने फिर से हमले शुरू कर दिए, जिससे परिवार को दूसरा ठिकाना तलाशना पड़ा.
नेमान के परिवार में उसकी पत्नी माजिदा, छह बेटियां और दो साल की नातिन है. वह हर बार इस उम्मीद में नये इलाके में जाकर रहने लगते हैं कि जीवन में कुछ पल के लिए ठहराव आएगा. लेकिन उन्हें हर बार दुख और निराशा का सामना करना पड़ता है. नेमान के अनुसार, युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है और उन्हें डर है कि हालात और बदतर हो सकते हैं. वह कहते हैं, “आने वाला समय और अंधकारमय है. हमें (गाजा पट्टी से) निकाला जा सकता है. हम मर भी सकते हैं… आपको पल-पल ऐसा लगता है, मानो मौत आपको घेर रही है. हम बस मौत से बचने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भागते फिर रहे हैं.”
कई अमेरिकियों ने गाजा में इजराइली सैन्य र्कारवाई को हद से अधिक बताया : एपी-एनओआरसी सर्वेक्षण
गाजा में मानवीय स्थिति को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता के बीच अब कई अमेरिकी नागरिक फलस्तीनी क्षेत्र में इजराइल की सैन्य कार्रवाई को युद्ध की शुरुआत की तुलना में अधिक सख्त मानते हैं. यह जानकारी एक नए सर्वेक्षण से सामने आयी है. ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) और ‘एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च’ के सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग आधे अमेरिकियों का कहना है कि गाजा पट्टी में इजराइल की सैन्य प्रतिक्रिया हद से अधिक यानी बहुत सख्त है.
यह संख्या नवंबर 2023 से अधिक है, जब 40 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि इजराइल की सैन्य कार्रवाई हद से अधिक सख्त है.
एपी-एनओआरसी का यह सर्वेक्षण हमास द्वारा सात अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हमला कर संघर्ष शुरू करने के तुरंत बाद आयोजित किया गया था, जिसमें आतंकवादियों ने लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी और 251 लोगों को बंधक बना लिया था.
लेकिन कुल मिलाकर, अमेरिकी लोगों, खासकर रिपब्लिकन समर्थकों, के यह कहने की संभावना कम है कि युद्धविराम पर बातचीत अमेरिकी सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. हालांकि कुछ महीने पहले तक वे ऐसा कहते थे जब अमेरिका हमास के साथ युद्धविराम वार्ता कर रहा था.
इजराइल की कार्रवाई के बारे में अमेरिकी रुख में यह बदलाव तब आया है जब इजराइल ने गाजा में व्यापक जमीनी हमला शुरू कर दिया है. इजराइल को गाजा में अपने आचरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक टीम ने कहा कि वह इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि इजराइल नरसंहार कर रहा है.
इजराइल ने पहले ही गाजा के एक बड़े क्षेत्र को नष्ट कर दिया है, लगभग 90 प्रतिशत आबादी को विस्थापित कर दिया है और एक भयावह मानवीय संकट पैदा कर दिया है. विशेषज्ञों ने गाजा सिटी में अकाल की घोषणा की है. गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, फलस्तीनियों की मृत्यु का आंकड़ा 65,000 को पार कर गया है. एपी-एनओआरसी सर्वेक्षण 11-15 सितंबर के बीच 1,183 वयस्कों पर किया गया था. सर्वेक्षण में पाया गया कि अमेरिकियों में यह धारणा बढ़ी है कि इजराइल की सैन्य प्रतिक्रिया ‘हद से अधिक’ सख्त हो गई है.
डेमोक्रेटिक पार्टी के लगभग 10 में से सात लोग ऐसा कहते हैं, जो नवंबर 2023 में 58 प्रतिशत से अधिक के आंकड़े को दर्शाता है. लगभग आधे निर्दलीय लोग भी यही कहते हैं, जबकि पहले के सर्वेक्षण में यह आंकड़ा 10 में से लगभग चार लोगों का था. ऐसा मानने वाले रिपब्लिकन की संख्या भी 18 प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई है. इजराइल द्वारा अतिक्रमण को लेकर चिंता जनवरी 2024 में अधिक थी, जब 50 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों ने कहा था कि इजराइल ‘हद पार कर’ गया है, लेकिन युद्ध जारी रहने के साथ यह चिंता थोड़ी कम हो गई.
और अब 45 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों का कहना है कि अमेरिका के लिए गाजा में फलस्तीनियों को मानवीय राहत प्रदान करना ‘बेहद’ महत्वपूर्ण है, यह युद्ध की शुरुआत में अमेरिकियों के विचारों के समान है, लेकिन मार्च के 41 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है. इस धारणा के बावजूद कि इजराइल ने हद पार कर दी है, अमेरिकियों द्वारा इजराइल और हमास के बीच स्थायी युद्धविराम पर बातचीत को उच्च प्राथमिकता देने की संभावना कम है, जबकि इसके मुकाबले वे तब इसे अधिक प्राथमिकता दे रहे थे जब ट्रंप प्रशासन संघर्ष विराम के लिए बातचीत में शामिल था.
संघर्ष से निपटने के ट्रंप के तरीके के प्रति अमेरिकी वयस्कों की स्वीकृति थोड़ी कम होकर 37 प्रतिशत रह गई है, जबकि मार्च में यह 44 प्रतिशत थी. डेमोक्रेट्स द्वारा स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य के लिए वार्ता को प्राथमिकता दिए जाने की संभावना अधिक है. लगभग 10 में से तीन अमेरिकी वयस्कों ने कहा कि एक स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए बातचीत ‘बेहद’ अहम है, यह रुख जनवरी 2024 से अपरिर्वितत है. लेकिन यह विश्वास विशेष रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के लोगों के बीच स्पष्ट है: लगभग आधे लोग अब कहते हैं कि यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो 2024 में 41 प्रतिशत से अधिक है. इसी प्रकार 19 प्रतिशत निर्दलीय और 14 प्रतिशत रिपब्लिकन भी ऐसा ही मानते हैं.
सर्वेक्षण में इजराइल को सैन्य सहायता के लिए समर्थन में भी थोड़ी कमी पाई गई. लगभग 10 में से दो अमेरिकी वयस्कों ने कहा कि हमास से लड़ने के लिए इजराइली सेना को सहायता प्रदान करना अमेरिका के लिए ‘बेहद’ जरूरी है, जो युद्ध की शुरुआत में 36 प्रतिशत से कम है. डेमोक्रेटिक लोगों के बीच यह गिरावट विशेष रूप से नाटकीय है, जो युद्ध की शुरुआत में 30 फीसदी से घटकर अब 15 प्रतिशत हो गई है.


