नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पर उनके परिवार के सदस्यों को ठेके देने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर तीन सप्ताह के भीतर अपना रुख स्पष्ट करे. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को सूचित किया गया कि राज्य ने शीर्ष अदालत के 18 मार्च के आदेश के संदर्भ में अपना हलफनामा पहले ही दाखिल कर दिया है.
गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ‘सेव मोन रीजन फेडरेशन’ और ‘वॉलंटरी अरुणाचल सेना’ द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य में सभी सरकारी ठेके मुख्यमंत्री के करीबी पारिवारिक सदस्यों को दिए जा रहे हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने 18 मार्च के आदेश का हवाला दिया और कहा कि केंद्र ने अभी तक अपना हलफनामा दायर नहीं किया है.
भूषण ने आरोप लगाया, “अरुणाचल प्रदेश राज्य को मुख्यमंत्री अपनी निजी लिमिटेड कंपनी की तरह चला रहे हैं.” जब उन्होंने तर्क दिया कि राज्य के हलफनामे में सैकड़ों ठेके दिए जाने की बात कही गई है, तो अरुणाचल प्रदेश के वकील ने इसका विरोध किया.
राज्य के वकील ने कहा, “यह गलत है, वह (याचिकाकर्ता) गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं.” याचिका के एक “प्रायोजित मुकदमा” होने का दावा करते हुए राज्य के वकील ने 2010 और 2011 में दिए गए अनुबंधों का हवाला दिया.
भूषण ने 18 मार्च के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया है, “भारत संघ, अर्थात गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय भी विस्तृत हलफनामा दाखिल करेंगे.” उन्होंने कहा, “उन्होंने (हलफनामा) दाखिल नहीं किया है. अब हलफनामा न केवल याचिका के जवाब में होना चाहिए, बल्कि यह राज्य द्वारा दाखिल हलफनामे के साथ-साथ सीएजी (भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट के जवाब में भी होना चाहिए.” केंद्र के वकील ने कहा कि उन्हें हलफनामा दाखिल करना था लेकिन वित्त मंत्रालय इस मामले में पक्ष नहीं है और मंत्रालय को इसमें पक्षकार बनाना होगा.
पीठ ने कहा, “इस अदालत ने आपको निर्देश दिया था. हलफनामा दाखिल करें.” पीठ ने कहा, “हमें ये सारी तकनीकी बातें मत बताइए. इस अदालत का स्पष्ट निर्देश है कि भारत संघ, यानी गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय भी विस्तृत हलफनामा दाखिल करेंगे. आपके लिए हलफनामा दाखिल करना ही काफी है. इसमें पक्षकार बनने की कोई जरूरत नहीं है.” राज्य द्वारा हलफनामा दायर किए जाने का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा, “हालांकि, भारत संघ ने हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा है और उसे इससे अधिक समय नहीं दिया गया है.” पीठ ने यह भी कहा कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट दायर कर दी है. न्यायालय ने मामले की सुनवाई तीन हफ्ते बाद के लिये निर्धारित की है. पीठ ने याचिकाकर्ता को अरुणाचल प्रदेश द्वारा दायर हलफनामे पर जवाब दाखिल करने की भी अनुमति दे दी.


