नयी दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को वाहन उद्योग जगत से कहा कि वे उन ग्राहकों को अतिरिक्त छूट देने पर विचार करें जो नई गाड़ी खरीदते समय अपने पुराने वाहन को कबाड़ में बदलने का प्रमाणपत्र जमा करते हैं. गडकरी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से यह भी अनुरोध किया है कि जो लोग अपने पुराने वाहन को कबाड़ में बदलकर नई गाड़ी खरीदते हैं, उन्हें माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में राहत दी जाए.
उन्होंने ई20 ईंधन (20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रित पेट्रोल) के खिलाफ जारी सोशल मीडिया प्रचार को राजनीतिक रूप से उनके खिलाफ बताया और कहा, ”यह प्रचार एक पैसे लेकर (पेड कैंपेन) शुरू किया गया अभियान था, जो खास तौर पर एथनॉल के खिलाफ था और मेरा राजनीतिक विरोध करने के लिए किया गया.” उन्होंने यहां सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के वार्षिक सम्मेलन में कहा, ”यह सोशल मीडिया अभियान एक सशुल्क अभियान था. यह एथनॉल के खिलाफ था और इसका उद्देश्य मुझे राजनीतिक रूप से निशाना बनाना था.”
कांग्रेस ने हाल ही में गडकरी के खिलाफ हितों के टकराव के आरोप लगाए हैं. उसका दावा है कि गडकरी एथनॉल उत्पादन के लिए आक्रामक रूप से पैरवी कर रहे थे, जबकि जबकि उनके दो पुत्र एथनॉल उत्पादन करने वाली कंपनियों में शामिल हैं और सरकार की नीति से लाभ उठा रहे हैं.
वाहन स्क्रैप नीति पर, गडकरी ने कहा कि यह उद्योग और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे निजी क्षेत्र को स्क्रैप धातुओं की उपलब्धता में भी मदद मिल सकती है, जिन्हें आयात किया जाता है. मंत्री ने उद्योग जगत से पुराने वाहन को कबाड़ में बदलने का प्रमाणपत्र जमा करने के बाद नया वाहन खरीदने वालों को अच्छी छूट देने पर विचार करने को कहा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में, औसतन 16,830 पुराने वाहन हर महीने कबाड़ में बदले जा रहे हैं और निजी क्षेत्र ने 2,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
परिवहन मंत्रालय बस संचालकों को लाभ पहुंचाने के लिए टोल नीति पर काम कर रहा है: गडकरी
20केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग करने वाले राज्य और निजी बस संचालकों को लाभ देने के लिए एक टोल नीति पर काम कर रहा है. सरकार ने राजमार्ग पर परेशानी मुक्त यात्रा की दिशा में एक कदम उठाते हुए गैर-वाणिज्यिक वाहनों के लिए फास्टैग आधारित वार्षिक पास की शुरुआत कर दी है, जिसकी कीमत 3,000 रुपये है. यह पास 15 अगस्त से प्रभावी है. यह पास सक्रिय होने की तारीख से एक वर्ष या 200 यात्राओं (जो पहले हो) तक वैध होगा. यह पास विशेष रूप से गैर-वाणिज्यिक निजी वाहनों जैसे कार, जीप और वैन के लिए बनाया गया है.
गडकरी ने बीओसीआई के भारत प्रवास पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ”हम राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग करने वाले राज्य और निजी बस संचालकों को लाभ प्रदान करने के लिए एक टोल नीति पर काम कर रहे हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से हरित हाइड्रोजन चालित ट्रकों के संचालन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में 10 राजमार्ग खंडों की पहचान की है.
गडकरी ने कहा कि इन खंडों पर इंडिया ऑयल और रिलायंस पेट्रोलियम द्वारा हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड और वोल्वो ने पहले ही हाइड्रोजन से चलने वाले ट्रक बनाना शुरू कर दिया है.
चिन्हित राजमार्ग खंडों में ग्रेटर नोएडा-दिल्ली-आगरा, भुवनेश्वर-पुरी-कोणार्क, अहमदाबाद-वडोदरा-सूरत, साहिबाबाद-फरीदाबाद-दिल्ली, जमशेदपुर-कलिंगनगर, तिरुवनंतपुरम-कोच्चि और जामनगर-अहमदाबाद आदि शामिल हैं. गडकरी ने यह भी कहा कि एनएचएआई राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे निजी भूमि पर 750 सुविधाएं बना रहा है.
ई-20 पर अभियान पैसा देकर चलाया गया, इसका मकसद मुझे राजनीतिक रूप से निशाना बनाना: गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण वाले पेट्रोल को लेकर सोशल मीडिया पर पैसा देकर अभियान चला गया था, जिसका मकसद उन्हें राजनीतिक रूप से निशाने पर लेना था. गडकरी ने वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम की वार्षिक बैठक में यह दावा किया.
उन्होंने कहा, “ई-20 को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान पैसे देकर चलाया गया था. यह अभियान एथनॉल के खिलाफ था और मुझे राजनीतिक रूप से निशाना बनाने के लिए चलाया गया था.” पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल (ई-20) के मिश्रण वाले ईंधन से वाहनों के प्रदर्शन में गिरावट आने और कलपुर्जों के जल्द खराब होने की चर्चाएं सोशल मीडिया पर काफी तेज रहीं. इस दौरान ई-20 पेट्रोल से वाहनों के माइलेज में गिरावट और इंजन पर असर पड़ने की आशंका जताई गई.
गडकरी ने पेट्रोल में ई-20 की मिलावट करने से जुड़ी चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर कहा, “सभी पक्षों ने इस बारे में अपना-अपना पक्ष रखा है. इनमें भारतीय वाहन अनुसंधान संघ (एआरएआई) और सियाम भी शामिल हैं.” उन्होंने कहा कि इस बारे में आया उच्चतम न्यायालय का फैसला भी पूरी तरह साफ है. उन्होंने कहा, “मैं बस यही कहूंगा कि जो भी था, उसमें कोई सच्चाई नहीं थी. सब कुछ स्पष्ट किया जा चुका है.” मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने हाल ही में गडकरी पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था. उसका कहना था कि परिवहन मंत्री एथनॉल उत्पादन के पक्ष में बोलते रहे हैं जबकि उनके दो बेटे एथनॉल उत्पादन से जुड़ी कंपनियों का हिस्सा हैं और उन्हें इस सरकारी नीति से फायदा हुआ है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पूरे मामले की लोकपाल के माध्यम से जांच कराने की चुनौती भी दी थी.
गडकरी ने कहा कि देश के करीब 22 लाख करोड़ रुपये के ईंधन आयात बिल को देखते हुए ई-20 एक किफायती एवं प्रदूषण-मुक्त देसी विकल्प है. उन्होंने कहा कि अगर यह राशि देश की अर्थव्यवस्था में ही जाए तो इसका फायदा किसानों और देश को होगा. सरकार ने मक्का से एथनॉल बनाने का निर्णय लिया है जिससे किसानों को 45,000 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है. इस वर्ष उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में इसका रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. गडकरी ने कहा, “हमारी कृषि वृद्धि दर बहुत कम है, इसलिए ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की ओर कृषि का यह विविधीकरण किसानों के लाभ के लिए सही है.”


