नयी दिल्ली/मुंबई/न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) इस साल शरद ऋतु या नवंबर तक पूरा हो जाएगा. गोयल ने मुंबई में वार्षिक वैश्विक निवेशक सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच इस समझौते को लेकर जारी बातचीत में ‘थोड़े बहुत’ भू-राजनीतिक मुद्दों ने व्यापारिक मसलों को पीछे छोड़ दिया था.
उन्होंने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि हालात जल्द ही पटरी पर लौटेंगे और हमारे दोनों नेताओं के बीच फरवरी में हुई चर्चा के अनुरूप हम शरद ऋतु या नवंबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को पूरा कर लेंगे.” गोयल ने कहा कि दुनिया भर में भारत के साथ व्यापार और कारोबारी संबंधों को विस्तार देने के लिए उत्साह है.
उन्होंने कहा, ”भारत पहले ही ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मॉरीशस, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के चार सदस्यीय समूह ईएफटीए के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) कर चुका है.” इससे पहले गोयल ने यहां उद्योग मंडल के एक कार्यक्रम में भी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद जताई. उन्होंने कहा, “बहुत कुछ हुआ है, बहुत कुछ करना बाकी है… अमेरिका के साथ हम बीटीए पर बातचीत कर रहे हैं.” यह बयान अमेरिका की तरफ से भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने से उपजे विवाद को देखते हुए अहम है. इस विवाद के बीच अमेरिका ने व्यापार समझौते पर छठे दौर की वार्ता के लिए 25 अगस्त से प्रस्तावित अपना भारतीय दौरा भी स्थगित कर दिया.
अब तक छठे दौर की वार्ता के लिए नयी तारीख तय नहीं हुई है. इस व्यापार समझौते को लेकर मार्च से शुरू हुई वार्ता की पांच दौर की बैठकें पूरी हो चुकी हैं. इस बीच, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि भारत और अमेरिका आखिरकार इस मुद्दे का हल निकाल लेंगे.
बेसेंट ने अमेरिकी समाचार चैनल ‘फॉक्स न्यूज’ से कहा, “भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है और उसके मूल्य हमारे और चीन के ज्यादा करीब हैं, रूस से नहीं.” हालांकि, अमेरिकी वित्त मंत्री ने भारत की ओर से रूसी कच्चा तेल खरीदने और उसे रिफाइन कर आगे बेचने को लेकर आलोचना भी की.
भारत ने अपने रुख का बचाव करते हुए कहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों पर आधारित है. भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क को ‘अनुचित और अव्यावहारिक’ बताया है. गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की आपूर्ति शृंखलाएं मजबूत हैं और देश किसी दूसरे देश की ‘कृपा’ पर निर्भर नहीं है. उन्होंने कहा कि यह भारत को आत्मनिर्भर बना रहा है और युवा पीढ़ी का आत्मविश्वास बढ़ा है. भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) व्यापार समझौते पर गोयल ने कहा कि बातचीत उन्नत चरण में है. उन्होंने बताया कि वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल इस समय ब्रसेल्स में अधिकारियों के साथ वार्ता कर रहे हैं. भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफटीए पर बातचीत का 13वां दौर आठ सितंबर से यहां शुरू होगा.
भारत, अमेरिका इस मुद्दे को ‘सुलझा लेंगे’ : अमेरिकी वित्त मंत्री बेसेन्ट
भारत और अमेरिका के बीच शुल्क को लेकर जारी तनातनी के बीच अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने कहा है कि अंतत? ‘ये दो महान देश इस मुद्दे को सुलझा लेंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत के मूल्य रूस के बजाय ‘हमारे और चीन के अधिक करीब हैं.’ फॉक्स न्यूज. को दिए साक्षात्कार में बेसेन्ट ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को ”व्यापक तौर पर प्रदर्शनात्मक” करार दिया. यह बयान तब आया जब चीन के तियानजिन शहर में रविवार और सोमवार को एससीओ का वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ.
बेसेन्ट ने सोमवार को कहा, ”यह एक पुराना आयोजन है, जिसे शंघाई सहयोग संगठन कहा जाता है, और मुझे लगता है कि यह व्यापक रूप से एक प्रदर्शनात्मक आयोजन है.” उन्होंने कहा, ”आख.रिकार, भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला लोकतंत्र है. उनके मूल्य रूस के बजाय हमारे और चीन के अधिक करीब हैं.” बेसेन्ट ने आगे कहा, ”मुझे लगता है कि अंतत: ये दो महान देश (भारत और अमेरिका) इस मुद्दे को सुलझा लेंगे. लेकिन रूस से तेल खरीदने और फिर उसे पुन? बेचने के मामले में भारतीयों ने अच्छा व्यवहार नहीं किया है. इससे यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयास को वित्तीय समर्थन मिला है.” भारत ने रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए कहा है कि उसकी ऊर्जा आवश्यकताएं राष्ट्रीय हितों और बाज.ार की स्थिति पर आधारित हैं.
फॉक्स न्यूज. के अनुसार, अमेरिका-भारत व्यापार वार्ताओं में धीमी प्रगति को भी व्हाइट हाउस द्वारा भारत पर शुल्क बढ.ाने के एक कारण के रूप में देखा जा रहा है. बेसेन्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीद के चलते भारत पर 50 प्रतिशत तक के शुल्क लगाए हैं. भारत ने इन शुल्कों को “अनुचित और अकारण” बताया है. उन्होंने यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठकों से जुड़े सवालों पर दी.
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका संबंध पिछले दो दशकों के सबसे निचले स्तर पर माने जा रहे हैं, जिसे ट्रंप प्रशासन की शुल्क नीति और नयी दिल्ली के प्रति उसके लगातार आलोचनात्मक रुख ने और गहरा किया है. बेसेन्ट ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन रूस पर प्रतिबंधों पर विचार कर रहा है और ”सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.” उन्होंने कहा ”मुझे लगता है कि सब कुछ सामने है. राष्ट्रपति पुतिन ने एंकोरेज में ऐतिहासिक बैठक के बाद, फोन कॉल के बाद, जब सोमवार को यूरोपीय नेता और राष्ट्रपति ज.ेलेंस्की व्हाइट हाउस में थे-जो संकेत दिए थे, उसके विपरीत कार्य किया है. वास्तव में, उन्होंने अत्यंत निंदनीय तरीके से बमबारी अभियान को और तेज कर दिया है.” उन्होंने आगे कहा, ”मुझे लगता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ, सभी विकल्प खुले हैं, और हम इस सप्ताह उनका बहुत गंभीरता से अध्ययन करेंगे.”
भारत-चीन संबंध पटरी पर लौट रहे हैं : गोयल
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सीमा मुद्दे सुलझते जाएंगे तनाव कम होता जाएगा. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक में भारत-चीन सीमा मुद्दे के ”निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य” समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति बनी है. दोनों नेताओं ने वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मान्यता देते हुए व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ाने का संकल्प लिया.
गोयल से पत्रकारों ने पूछा कि अगर भारत और चीन अपने संबंधों को फिर से स्थापित कर रहे हैं, तो क्या पीएन3 में ढील की गुंजाइश है. इस पर उन्होंने कहा, ” यह एक एससीओ शिखर सम्मेलन था, जिसमें सभी एससीओ सदस्यों ने भाग लिया. गलवान में हमारे सामने एक समस्या थी, जिसके कारण हमारे संबंधों में थोड़ी तलखी आई थी. मुझे लगता है कि सीमा मुद्दों का समाधान होने के साथ ही स्थिति का सामान्य होना एक बहुत ही स्वाभाविक परिणाम है.” चीन से भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए सभी क्षेत्रों में वर्तमान में सरकारी अनुमोदन लेना अनिवार्य है. यह नीति अप्रैल, 2020 में प्रेस नोट 3 (पीएन3) के रूप में जारी की गई थी.
घरेलू उद्योग सरकार से चीन से अधिक निवेश आर्किषत करने के लिए इन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानदंडों को आसान बनाने का आग्रह कर रहा है. जुलाई, 2024 में बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने का पुरजोर समर्थन किया गया था. इसमें कहा गया था कि पड़ोसी देशों से विदेशी निवेश में वृद्धि से भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
अप्रैल, 2000 से मार्च, 2025 तक भारत में दर्ज कुल एफडीआई प्रवाह में चीन केवल 0.34 प्रतिशत हिस्सेदारी (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) के साथ 23वें स्थान पर रहा. भारत का निर्यात 2024-25 में 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 113.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा.
व्यापार घाटा (आयात एवं निर्यात के बीच का अंतर) 2003-04 के 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. गत वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के कुल व्यापार असंतुलन (283 अरब अमेरिकी डॉलर) में चीन का व्यापार घाटा करीब 35 प्रतिशत था. 2023-24 में यह अंतर 85.1 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था.


