इंफाल. मणिपुर में जातीय संघर्ष को लेकर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए शिवसेना की मणिपुर इकाई ने सोमवार को पार्टी से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संभावित दौरे को लेकर ”जनता को नहीं भड़काए”. शिवसेना की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ. एम. तोम्बी सिंह का यह आरोप कांग्रेस नेता जयराम रमेश के उस दावे के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी की ‘इतनी हड़बड़ी में हो रही यात्रा’ 29 ‘लंबे और कष्टदायक’ महीनों से उनका (मोदी का) इंतजार कर रहे राज्य के लोगों का ‘अपमान’ है.
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ”प्रधानमंत्री 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार मणिपुर का दौरा कर रहे हैं. जातीय संघर्ष के दौरान उनके (मोदी के) राज्य का दौरा नहीं करने को लेकर काफी चर्चा हुई है. शिवसेना उनका गर्मजोशी से स्वागत करती है, भले ही यह कुछ समय के लिए ही क्यों न हो.” मोदी के 13 सितंबर को मणिपुर का दौरा करने की संभावना है, जो मई 2023 में मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से राज्य का उनका पहला दौरा होगा.
शिवसेना नेता ने कहा, ”हम प्रधानमंत्री से उनकी यात्रा के दौरान आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के उचित पुनर्वास की अपील करते हैं. हम हमेशा संघर्ष में नहीं रह सकते. इससे पहले, कुकी-नागा संघर्ष हुए थे, जो धीरे-धीरे समाप्त हो गए. मोदी के राज्य दौरे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.” सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी मोदी के दौरे पर रमेश की टिप्पणी की निंदा करती है और इसे जनता की भावनाओं को भड़काने वाला राजनीतिक प्रयास मानती है.
उन्होंने कहा, ”उन्हें लोगों को भड़काने के बजाय सुझाव देने चाहिए. हम अच्छी तरह जानते हैं कि कांग्रेस ने लोगों की मुश्किलें कम करने और सामान्य स्थिति लाने के लिए कुछ नहीं किया है.” सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए रमेश ने रविवार को कहा, ”इतनी हड़बड़ी में हो रही यात्रा’ से वह क्या हासिल करना चाहते हैं? यह वास्तव में राज्य के लोगों का अपमान है, जिन्होंने 29 लंबे और कष्टदायक महीनों तक उनका (मोदी का) इंतजार किया है.” कांग्रेस द्वारा साझा मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री लगभग तीन घंटे मणिपुर में रहेंगे.
शिवसेना ने 2022 के मणिपुर विधानसभा चुनाव के बाद पूर्ववर्ती एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को समर्थन दिया था. हालांकि, पार्टी का राज्य में कोई विधायक नहीं है. तोम्बी सिंह ने आश्चर्य जताया कि केंद्र और दो कुकी-जो उग्रवादी समूहों – कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) के बीच ऑपरेशन सस्पेंशन (एसओओ) समझौते को किस आधार पर बढ.ाया गया और सभी को हथियारों से लैस करने का आह्वान किया.
दो प्रमुख कुकी-जो समूहों ने चार सितंबर को सरकार के साथ नए सिरे से एसओओ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत वे मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने, संवेदनशील क्षेत्रों से दूर निर्दष्टि शिविरों को स्थानांतरित करने और राज्य में स्थायी शांति एवं स्थिरता लाने की दिशा में समाधान के लिए काम करने पर सहमत हुए थे. शिवसेना नेता ने आरोप लगाया कि एसओओ समूहों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले मालवाहक ट्रकों पर अवैध कर लगाया जा रहा है.


