नयी दिल्ली. किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘स्वयंसेवक’ बनने और जनसंघ से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले तथा तमिलनाडु में लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक धुरी रहे चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन मंगलवार को देश के 15वें उप राष्ट्रपति निर्वाचित हुए.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार राधाकृष्णन ने विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से पराजित किया. उनकी जीत के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तथा कई अन्य प्रमुख नेताओं ने उन्हें बधाई दी. प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि राधाकृष्णन एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति होंगे.
दूसरी तरफ, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि आंकड़ों में भले ही राधाकृष्णन की जीत हुई, लेकिन असल में भाजपा की नैतिक और राजनीतिक हार हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने उम्मीद जताई कि राधाकृष्णन संसदीय परंपराओं के सर्वोच्च मूल्यों को बनाए रखेंगे, विपक्ष के लिए समान स्थान और सम्मान सुनिश्चित करेंगे तथा सत्तारूढ़ दल के दबाव के सामने नहीं झुकेंगे. विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने अपनी हार स्वीकार की और कहा कि वह वैचारिक संघर्ष जारी रखेंगे.
उप राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान सुबह 10 बजे आरंभ हुआ था, जो शाम पांच बजे समाप्त हुआ. मतदान खत्म होने के करीब ढाई घंटे के बाद चुनाव परिणाम घोषित किए गए. राज्यसभा के महासचिव और निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने नतीजों की घोषणा की और कहा कि कुल 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ. राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 तथा विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए.
उन्होंने बताया कि इस मतदान में निर्वाचक मंडल के कुल 781 सदस्यों में से 767 (एक डाक मतपत्र समेत) ने मतदान किया था, जिसमें 15 वोट अवैध करार दिए गए. पी सी मोदी ने कहा, ”मैं सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित घोषित करता हूं. परिणाम के बारे में निर्वाचन आयोग को सूचित किया जाएगा.” भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने दावा किया कि ”लगभग 40 विपक्षी सांसदों” ने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनी और ”किसी न किसी रूप में” राजग उम्मीदवार के समर्थन में मतदान किया. 40 विपक्षी सांसदों के समर्थन के उनके दावे में अवैध करार दिए गए कई मतों की बात भी शामिल है.
कुछ विपक्षी नेताओं ने चुनावों में रेड्डी का समर्थन करने के लिए सांसदों की अंतरात्मा की आवाज़ सुनने का आह्वान किया था और वरिष्ठ भाजपा नेता जायसवाल की टिप्पणियों को उनके जवाब के रूप में देखा जा रहा है. राजग नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र के कुछ विपक्षी सांसदों ने राधाकृष्णन के समर्थन में मतदान किया. राजग उम्मीदवार की जीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा कि राधाकृष्णन का जीवन हमेशा समाज सेवा और गरीबों व कमजोर वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने के लिए सर्मिपत रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “थिरु सी पी राधाकृष्णन जी को 2025 का उपराष्ट्रपति चुनाव जीतने पर बधाई. उनका जीवन हमेशा समाज सेवा और गरीबों व कमजोर वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने के लिए सर्मिपत रहा है. मुझे विश्वास है कि वह एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति होंगे और हमारे संवैधानिक मूल्यों को मजबूत बनाने के साथ साथ संसदीय संवाद को आगे बढ़ाएंगे.” नतीजे घोषित होने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष एकजुट रहा और उसका प्रदर्शन सम्मानजनक था.
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष एकजुट रहा. इसका प्रदर्शन निस्संदेह अत्यंत सम्मानजनक रहा है. इसके संयुक्त उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी को 40 प्रतिशत वोट मिले. 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को 26 प्रतिशत वोट मिले थे.” उन्होंने दावा किया कि भाजपा की आंकड़ों में जीत हुई है, लेकिन वास्तव में नैतिक और राजनीतिक दोनों तरह से यह उसकी हार है.
रमेश ने कहा, ”वैचारिक लड़ाई अब भी जारी है.” उप राष्ट्रपति के चुनाव के लिए, निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में पांच सीटें रिक्त हैं), तथा 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में एक सीट रिक्त है) शामिल हैं. निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 781) हैं. उप राष्ट्रपति चुनाव से बीजू जनता दल (बीजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने दूर रहने का फैसला किया था.
उप राष्ट्रपति चुनाव में सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मतदान किया. मोदी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू, अर्जुन राम मेघवाल, जितेंद्र सिंह और एल. मुरुगन के साथ संसद भवन के कमरा संख्या 101, वसुधा में स्थापित मतदान केंद्र में अपना वोट डाला. शुरुआत में मतदान करने वालों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और सैयद नासिर हुसैन शामिल थे.
पूर्व प्रधानमंत्री, 92 वर्षीय देवेगौड़ा व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचे. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हाथों में हाथ डाले मतदान केंद्र तक जाते देखे गए. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी और कई अन्य नेताओं ने भी मतदान किया. जेल में बंद सांसद इंजीनियर रशीद ने भी मतदान में हिस्सा लिया.
संसद के हालिया मानसून सत्र के दौरान जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उनका कार्यकाल दो साल बचा हुआ था. उनके इस्तीफे के कारण यह चुनाव हुआ. उपराष्ट्रपति के तौर पर राधाकृष्णन का सफर अब अलग तरह का होगा, जिसमें उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी. सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के सभापति के रूप में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने की होगी, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष ने आसन की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं.
अब तक महाराष्ट्र के राज्यपाल की भूमिका में रहे 67 वर्षीय राधाकृष्णन किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे. वह 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं.
राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में कोयंबटूर लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीता, हालांकि इसके बाद उन्हें इस सीट से लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा. तमिलनाडु में सभी दलों में उन्हें काफी सम्मान हासिल है और यही वजह है कि भाजपा ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया.
उन्होंने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली. इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया. झारखंड के राज्यपाल के रूप में, उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था.
तमिलनाडु के तिरुपुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है. 16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने.
वर्ष 1996 में, राधाकृष्णन को भाजपा की तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया गया. वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वह फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. एक उत्साही खिलाड़ी राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं. ऐसा कहा जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा राजग से संबंध समाप्त करने के बाद तमिलनाडु में भाजपा के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.
स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक सी. पी. राधाकृष्णन का रहा है बेमिसाल सफर
किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘स्वयंसेवक’, जनसंघ से राजनीतिक पारी की शुरुआत, 1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद, समर्थकों के बीच ‘तमिलनाडु के मोदी’ के नाम से लोकप्रिय और आज देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए निर्वाचित हुए चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन का सफर निस्संदेह बेमिसाल है.
उपराष्ट्रपति के तौर पर उनका सफर अब अलग तरह का होगा, जिसमें उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी. सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के सभापति के रूप में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने की होगी, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष ने आसन की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. राधाकृष्णन (77 वर्ष) देश के 15वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से पराजित किया.
अब तक महाराष्ट्र के राज्यपाल की भूमिका रहे 67 वर्षीय राधाकृष्णन किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे. वह 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं.
राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में कोयंबटूर लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीता, हालांकि इसके बाद उन्हें इस सीट से लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा. तमिलनाडु में सभी दलों में उन्हें काफी सम्मान हासिल है और यही वजह है कि भाजपा ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया.
उन्होंने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली. इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया. झारखंड के राज्यपाल के रूप में, उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था. विभिन्न राज्यों में राज्यपाल पद संभालने के बाद भी, वह अक्सर तमिलनाडु का दौरा करते रहे हैं. अपने हालिया तमिलनाडु दौरे के दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से भी मुलाकात की थी.
तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
तमिलनाडु के तिरुपुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है. 16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने.
वर्ष 1996 में, राधाकृष्णन को भाजपा की तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया गया. वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वह फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए.
सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में कार्य किया. वर्ष 2004 से 2007 के बीच, राधाकृष्णन भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहे. इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की, जो 93 दिनों तक चली. एक उत्साही खिलाड़ी राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं.
ऐसा कहा जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा राजग से संबंध समाप्त करने के बाद तमिलनाडु में भाजपा के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.


