पाबंदी के रहते आरक्षित अभ्यर्थियों के नाम पर सामान्य श्रेणी के लिए विचार नहीं हो सकता: न्यायालय

vikasparakh
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नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आरक्षित श्रेणी के ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने सामान्य अ्भ्यियथयों के साथ खुली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए शुल्क या ऊपरी आयु सीमा में छूट का लाभ उठाया है, उनके नाम पर बाद में अनारक्षित श्रेणी की रिक्तियों पर चयन के लिए विचार नहीं किया जा सकता, बशर्ते भर्ती नियम ऐसे स्थानांतरण पर रोक लगाते हों. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह टिप्पणी की और त्रिपुरा उच्च न्यायालय के एक आदेश को बरकरार रखा.

पीठ ने कहा, ”सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ खुली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए शुल्क/अधिकतम उम्र सीमा में छूट का लाभ उठाने वाले आरक्षित उम्मीदवारों को अनारक्षित सीट पर भर्ती किया जा सकता है या नहीं, यह प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा.” शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामले में जहां भर्ती नियमों या रोजगार अधिसूचना में कोई प्रतिबंध नहीं है, ऐसे आरक्षित उम्मीदवार जिन्होंने अंतिम चयनित अनारक्षित उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें अनारक्षित सीट पर स्थानांतरित होने और भर्ती होने का अधिकार होना चाहिए.

पीठ ने स्पष्ट किया, ” यदि संबंधित भर्ती नियमों के तहत प्रतिबंध लगाया जाता है, तो ऐसे आरक्षित उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी की सीट पर स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.” शीर्ष अदालत केंद्र द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें उन याचिकाकर्ताओं को, जिन्होंने कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के पद के लिए उम्र में छूट का लाभ उठाने के बाद ओबीसी श्रेणी के आरक्षित अभ्यर्थी के रूप में आवेदन किया था, को अनारक्षित श्रेणी के तहत भर्ती करने पर विचार करने के लिए कहा गया था.

अ्भ्यियथयों ने ओबीसी उम्मीदवार के रूप में आवेदन किया था और इस छूट का लाभ उठाकर योग्यता प्राप्त की थी. हालाँकि, उन्हें असफल घोषित कर दिया गया क्योंकि उन्हें विभिन्न विभागों में ओबीसी श्रेणी में अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम अंक मिले थे. लेकिन उनके अंक उन विभागों में अनारक्षित श्रेणी के तहत चयनित अंतिम अभ्यर्थी से अधिक थे. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें अनारक्षित श्रेणी में स्थानांतरित किये जाने की अनुमति दी जानी चाहिए तथा इसके लिए उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

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