मुंबई. गैंगस्टर अरुण गवली को 2007 के हत्या मामले में 17 साल से ज्यादा समय जेल में रहने के बाद उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने पर बुधवार को नागपुर जेल से रिहा कर दिया गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. शीर्ष अदालत ने मुंबई में शिवसेना के पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गवली (76) को जमानत दी है. 28 अगस्त को पारित आदेश में न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि गवली 17 साल से अधिक समय से जेल में है और अपील उसके समक्ष लंबित है.
एक अधिकारी ने कहा, “जेल विभाग की सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद दोपहर करीब 12:30 बजे गवली जेल से बाहर आया.” गवली के परिवार के सदस्यों, वकील और समर्थकों ने उसका स्वागत किया. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गवली को नागपुर हवाई अड्डे ले जाया गया, जहां से वह एक उड़ान से मुंबई के लिए रवाना हो गया. अधिकारी ने बताया कि गवली की रिहाई के मद्देनजर जेल परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था.
शीर्ष अदालत ने निचली अदालत की शर्तों के तहत गवली को जमानत दी है. उसके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज है. गवली ने बंबई उच्च न्यायालय के नौ दिसंबर, 2019 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें निचली अदालत की ओर से तय की गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा गया था.
गवली भायखला के एक इलाके दगड़ी चॉल से र्चिचत हुआ था और अखिल भारतीय सेना का संस्थापक है. वह 2004 से 2009 तक मुंबई के चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहा. अगस्त 2012 में, मुंबई की एक सत्र अदालत ने उसे इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.


