मुंबई. बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण पूरा शहर ठहर गया है और यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है तथा इसमें सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है. उच्च न्यायालय ने मुंबई में सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह किया और जरांगे तथा उनके समर्थकों को हालात सुधारने तथा मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली करने का अवसर दिया.
जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई स्थित आज.ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की मांग कर रहे हैं. उनके समर्थकों ने दावा किया कि जरांगे ने सोमवार से पानी पीना बंद कर दिया है.
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने विशेष सुनवाई में कहा कि प्रदर्शनकारी आंदोलन के लिए निर्धारित स्थान आजाद मैदान पर नहीं रुके हैं और उन्होंने दक्षिण मुंबई के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अवरुद्ध कर दिया है. अदालत ने कहा, “स्थिति गंभीर है और मुंबई शहर लगभग ठहर सा गया है.” अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज र्टिमनस (सीएसएमटी) और चर्चगेट रेलवे स्टेशन, मरीन ड्राइव और उच्च न्यायालय भवन जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर जमा हो गए हैं.
अदालत ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है और जरांगे तथा अन्य प्रदर्शनकारियों ने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति देते समय प्राधिकारों द्वारा निर्धारित प्रत्येक शर्त का उल्लंघन किया है. पीठ ने कहा, “हम जरांगे और उनके समर्थकों को हालात को तुरंत सुधारने और यह सुनिश्चित करने का अवसर दे रहे हैं कि मंगलवार दोपहर तक सड़कें खाली हो जाएं.”
अदालत ने कहा कि चूंकि जरांगे और उनके समर्थकों ने प्रथम दृष्टया शर्तों का उल्लंघन किया है और चूंकि उनके पास प्रदर्शन जारी रखने के लिए वैध अनुमति नहीं है, इसलिए वह उम्मीद करती है कि राज्य सरकार उचित कदम उठाकर कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करेगी. अदालत ने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि अब से कोई भी प्रदर्शनकारी, जैसा कि जरांगे ने दावा किया है, शहर में प्रवेश न करे. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार के लिए निर्धारित करते हुए कहा कि अगर तब तक जरांगे की तबीयत बिगड़ती है, तो सरकार उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करेगी.
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि आज.ाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक दी गई थी. उन्होंने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने हर शर्त और वचन का उल्लंघन किया है. पीठ ने कहा कि जरांगे द्वारा पुलिस को दिया गया यह आश्वासन कि वह सभा, आंदोलन और प्रदर्शन के लिए नियमों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे, केवल एक दिखावा मात्र है.
पीठ ने कहा, “हम देख सकते हैं कि प्रदर्शन कितना शांतिपूर्ण है. उच्च न्यायालय की इमारत को घेर लिया गया. न्यायाधीशों और वकीलों के प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए हैं. आज उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की कारों को रोक दिया गया और उन्हें अदालत आने से रोक दिया गया. पूरे शहर की नाकेबंदी कर दी गई है.” अदालत ने पूछा कि अगर जरांगे का यह बयान सही है कि ऐसे लाखों और प्रदर्शनकारी आएंगे, तो राज्य सरकार इस स्थिति से निपटने की क्या योजना बना रही है.
पीठ ने कहा, “उन्होंने कहा है कि वह आमरण अनशन पर रहेंगे और अपनी मांगें पूरी होने तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे. वह (जरांगे) खुली धमकी दे रहे हैं. राज्य सरकार सड़कें क्यों नहीं खाली करवा रही है? जरांगे द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार, मुंबई में जनजीवन ठप नहीं होगा. हर आश्वासन का उल्लंघन किया गया.” अदालत ने जानना चाहा कि प्रदर्शनकारी सिफ.र् आज.ाद मैदान में ही क्यों नहीं बैठे हैं और हर जगह घूम रहे हैं. उच्च न्यायालय ने कहा, “हम सामान्य स्थिति चाहते हैं. प्रदर्शनकारी सड़कों पर नहा रहे हैं, खाना बना रहे हैं और शौच कर रहे हैं.” पीठ ने कहा कि वह जरांगे के बारे में भी चिंतित है, जो अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं. पीठ ने कहा कि हालांकि प्रत्येक नागरिक को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से और स्वीकार्य सीमा के भीतर किया जाना चाहिए.
फडणवीस ने समुदाय की मांगें नहीं मानीं तो पांच करोड़ से अधिक मराठा मुंबई आएंगे: जरांगे
कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को चेतावनी दी कि यदि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समुदाय की आरक्षण संबंधी मांगों पर ध्यान नहीं देते हैं तो पांच करोड़ से अधिक मराठा मुंबई आ जाएंगे. महानगर के दक्षिणी हिस्से में स्थित आजाद मैदान में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर किया जा रहा आंदोलन चौथे दिन भी जारी रहा. जरांगे ने आरोप लगाया कि फडणवीस इस मुद्दे पर निर्णय में जानबूझकर देरी कर रहे हैं.
जरांगे ने दावा किया, “(समुदाय को आरक्षण देने का) फैसला लेना बहुत आसान है. राज्य सरकार को बस इतना कहना है कि वह हैदराबाद, सतारा और अन्य गजेटियर लागू कर रही है तथा मराठवाड़ा के सभी मराठों को कुनबी घोषित कर रही है. ऐसे प्रमाणपत्रों का वितरण जिलाधिकारियों और तहसीलदारों द्वारा किया जा सकता है.” कार्यकर्ता ने चेतावनी देते हुए कहा, ह्लमराठा मुंबई आने का इंतजार कर रहे हैं. वे सही समय का इंतजार कर रहे हैं. अगर फडणवीस समुदाय की मांगों पर ध्यान नहीं देते हैं तो पांच करोड़ से अधिक मराठा मुंबई आ जाएंगे.ह्व जरांगे ने आरक्षण आंदोलनकारियों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि उनके कारण मुंबईवासियों को असुविधा न हो.


